गंगधार से बाबा द्वार तक श्रद्धा का सागर
वाराणसी : देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन के अंतिम सोमवार के गंगा तट से लेकर श्रीकाशी विश्वना
वाराणसी : देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन के अंतिम सोमवार के गंगा तट से लेकर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तक श्रद्धा का सागर उमड़ता रहा। बाबा का दर्शन व जलाभिषेक करने आए शिव भक्तों के भावों के आगे सड़कों और गलियों का दायरा कम पड़ता रहा। बम-बम बोल व हर-हर महादेव का उद्घोष करते केशरिया रेला हर ओर बहा। सुबह से लेकर रात तक हजारों-हजार बैरिकेडिंग की कतार में तो उससे भी कई गुना इसके पार प्रभु को जलधार देने के इंतजार में रहे। मंदिर के पट बंद होने तक दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने काशीपुराधिपति का दर्शन और जलाभिषेक कर लिया।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा को जल-दूध व बेल-मदार की धार अर्पित करने के लिए रविवार रात से ही कतार लग गई थी। कांवरियों समेत शिव भक्तों ने पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाई। कलश या पात्र जल से भरा और बाबा दरबार का रास्ता धर लिया। कतार में सोते-जागते भोर होने का इंतजार किया। मंगला आरती के बाद 3.45 बजे आम दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट खुले और रेला उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने जितना भी समय मिला, उतने में ही बाबा की सविधि पूजा आराधना कर मनोकामनाओं का पिटारा उनके चरणों में धर दिया। सूरज की किरणों के धरती पर आते-आते श्रद्धा-भक्ति की गंगा यमुना का पारावार न रहा। सुबह नौ बजे तक 70 हजार भक्तों ने दर्शन कर लिया तो कतार का एक सिरा छत्ताद्वार और गोदौलिया से दशाश्वमेध, गिरजाघर होते लक्सा को छू गया। वहीं दूसरी कतार चौक, नीचीबाग, मैदागिन के पार पहुंच गई। इससे पांच किलोमीटर का इलाका बाबा की भक्ति गंगा में गोते लगाता और अघाता रहा। कुछ यही हाल बीएचयू परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर, महामृत्युंजय महादेव, कैथी स्थित मार्कडेय महादेव, हरहुआ में रामेश्वर महादेव और रोहनिया के शूलटंकेश्वर महादेव समेत शहर से लेकर गांव तक के अन्य शिवालयों में रही जहां श्रद्धा भक्ति की गंगा अविरल बहती रही।