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बूंद-बूंद की समझी कीमत, बदलेगी धरा की सूरत

जासं, वाराणसी : दैनिक जागरण व सुबह-ए-बनारस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शाम-ए-जलदान में श

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Dec 2017 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 09:32 PM (IST)
बूंद-बूंद की समझी कीमत, बदलेगी धरा की सूरत
बूंद-बूंद की समझी कीमत, बदलेगी धरा की सूरत

जासं, वाराणसी : दैनिक जागरण व सुबह-ए-बनारस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शाम-ए-जलदान में शुक्रवार को उपस्थित लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया। लोगों ने एक-एक बूंद जल बचाने की शपथ भी ली। इस बात का भी संकल्प लिया गया कि भू-जल स्तर को ऊपर उठाने के लिए जल का रिचार्ज करेंगे। साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी पद्धति से अपने आवासीय परिसर में जल संचयन करने के साथ ही पास-पड़ोस को इसके लिए प्रेरित भी करेंगे। मुख्य वक्ता पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर लालबहादुर डिग्री कॉलेज मुगलसराय के डा. विजय शंकर मिश्र ने कहा कि अमृत माना जाने वाला जल अब विष होता जा रहा है। हमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

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काव्य में जल की भयावहता का संकेत

-इस दौरान कवि नागेश शाडिल्य ने अपनी व्यंग्य काव्य रचना के माध्यम से जल संकट व प्रदूषण की ओर संकेत किया। उन्होंने सुनाया-

'दूध और पानी को अलग करने से मना करने वाले हंस का लोगों ने जब किया उपहास,

हंस ने कहा- बंद करो ये बकवास।

तुम्हे नहीं पता हमारा स्वभाव, आज भी शुद्ध सेंट परसेंट है।

पर अपने दूध और जल को तो देखो, इसमें यूरिया कीटनाशक और डिटर्जेट है।'


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