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जलदान : वंश बेल नहीं बढ़ी तो तो मन्नत में बनवा दिया पोखरा

गाजीपुर जिले में काफी कोशिश के बाद भी जब जायसवाल परिवार की वंश बेल आगे नहीं बढ़ी तो उन्होंने मन्नत में पोखरा ही बनवा दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 03:29 PM (IST)Updated: Tue, 15 May 2018 03:29 PM (IST)
जलदान : वंश बेल नहीं बढ़ी तो तो मन्नत में बनवा दिया पोखरा
जलदान : वंश बेल नहीं बढ़ी तो तो मन्नत में बनवा दिया पोखरा

सर्वेश मिश्र, गाजीपुर : काफी कोशिश के बाद भी जब जायसवाल परिवार की वंश बेल आगे नहीं बढ़ी तो अपने भटकते मन को स्थिर करने के लिए गांव में एक बड़ा पोखरा खोदवा डाला। इसके पानी से गांव के लोगों के साथ पशु-पक्षी भी संतृप्त हो रहे हैं। सैकड़ों वर्ष पुराना ताजपुर गांव के पूर्वी छोर पर सड़क किनारे स्थित यह ऐतिहासिक पोखरा आज भी अपना अस्तित्व बचाए हुए है। आज तक कभ इसका पानी नहीं सूखा।

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आज जल संरक्षण को लेकर तरह-तरह के उपाय किए जा रहे हैं और लोगों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। जबकि पहले लोग जल संरक्षण को लेकर कितना जागरूक हुआ करते थे इसकी मिसाल पेश कर रहा है ताजपुर गांव के पूर्वी छोर पर सड़क किनारे स्थित ऐतिहासिक पोखरा। इस पोखरे के निर्माण के पीछे की कहानी काफी रोचक है। यह सैकड़ों वर्ष पूर्व की दास्तां है। ताजपुर गांव में एक जायसवाल परिवार रहता था। बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई। संतान न होने के कारण वह निराश हो गये थे और अपना जीवन अर्थहीन लगने लगा था। उस शख्स का नाम था देवकीनंदन जायसवाल और जियनदास जायसवाल। एक दिन उनके दरवाजे एक बहुत बड़े महात्मा पधारे। उनका सेवा सत्कार करने के बाद जायसवाल परिवार ने आशीर्वाद मांगा। महात्मा जी ने कहा बेटा तुम एक सुंदर पोखरा व शिव मंदिर का निर्माण कराओ, इससे तुम्हारे मन को सुख व शांति मिलेगी और इससे जन्मों जन्मांतर मानव व पशु पक्षियों का कल्याण होगा। संत की बात मान कर जायसवाल परिवार ने इस ऐतिहासिक पोखरे का निर्माण कार्य रामनवमी के दिनआरंभ करवाया। पोखरा की खुदाई के बाद एक तरफ पक्की सीढि़यों का भी निर्माण कराया गया और वहीं शिव मंदिर भी बनवाया गया है। आज भी इस पोखरे पर रामनवमी व दशहरा में रामलीला व मेला का आयोजन होता है, जिसमें लोगों की भारी भीड़ लगती है। पांच बीघे के रकबे में फैले इस पोखरा का पानी कभी समाप्त नहीं होता था। इधर कुछ वर्ष से यह पोखरा सूखने के कगार पर पहुंच जा रहे है लेकिन ग्रामीण मिलकर इसे ट्यूबवेल चलाकर भर देते हैं। इस मंदिर व पोखरे को लोग बड़ी आस्था के साथ आज भी पूजते हैं। ग्रामीण संजीव शर्मा, राजेंद्र यादव, बृजनाथ यादव व पारस नाथ राम आदि ने बताया कि अगर इस पोखरे के चारों तरफ की सीढि़यों का निर्माण करा दिया जाता व सफाई हो जाती तो इसकी रौनक और बढ़ जाती।


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