गंगा बाढ़ क्षेत्र का पहली बार सीमांकन, तराई क्षेत्र नो 'डेवलपमेंट जोन', सेटेलाइट से होगा सीमांकन
प्रदेश सरकार द्वारा गंगा के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन किया जाएगा जिसकी फाइनल रिपोर्ट जलशक्ति मंत्रालय को सौंपी जाएगी।
मीरजापुर [सतीश रघुवंशी]। प्रदेश सरकार द्वारा गंगा के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन किया जाएगा जिसकी फाइनल रिपोर्ट जलशक्ति मंत्रालय को सौंपी जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय के तहत नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) अंतिम रुप से गंगा के बाढ़ क्षेत्र को स्वीकृति प्रदान करेगा। इस रिपोर्ट को स्वीकृति मिल गई तो राज्य में गंगा के बाढ़ क्षेत्र को केंद्र द्वारा पहली बार नोटिफाई किया जाएगा। इसे लेकर इन दिनों सिंचाई विभाग में तैयारियों चल रही हैं।
यह मामला अंतरराज्यीय है इसलिए राज्य सिंचाई विभाग और केंद्रीय जल आयोग के संयुक्त तत्वाधान में यह पूरा सर्वे कराया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि यह पूरी तरह सेटेलाइट आधारित सर्वे होगा जिसमें हाइड्रोलाजिकल डाटा के अलावा भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा। इसके साथ ही वे स्थान भी चिन्हित किए जाएंगे जहां नदी के बहाव को बदलने की कोशिश की गई है। किसी प्रकार के जैविक अतिक्रमण या आबादी का अतिक्रमण हुआ है। अधिकारियों की मानें तो बीते 25 वर्षों में अधिकतम सीमा पहुंचे बाढ़ के पानी को मुख्य आधार बनाया जाएगा। साथ ही शहरी क्षेत्र के गंगा तट से दो सौ मीटर क्षेत्र व ग्रामीण क्षेत्र में तट से पांच सौ मीटर की दूरी तक सीमांकन किया जाना है। शासन द्वारा पहली बार गंगा के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन किया जाएगा जिसकी रिपोर्ट जलशक्ति मंत्रालय को सौंपी जाएगी। योजना कार्य दो चरणों में संपादित किया जाना है।
दूसरे चरण में जनपद में सर्वे
गंगा बिजनौर से प्रदेश में प्रवेश करती हैं और वहां से उन्नाव तक पहले चरण का सर्वे संपन्न होगा। इसके बाद दूसरे चरण में फर्रुखाबाद से प्रयागराज, भदोही, मीरजापुर से वाराणसी होते हुए बलिया तक सीमांकन किया जाएगा। यह काम सिंचाई विभाग व केंद्रीय जल आयोग के संयुक्त प्रयास से होगा जिसे लेकर विभाग में भी तैयारियां की जा रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि गंगा प्रदूषण मुक्ति सहित किनारों पर अतिक्रमण की असली तस्वीर मिलेगी।
घोषित होगा नो डेवलपमेंट जोन
एक बार बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन पूरा हो जाएगा तब इसे दो भागों में विभाजित किया जाएगा। इसमें पहला है नो डेवलपमेंट जोन और दूसरा होगा प्रतिबंधित क्षेत्र। इन जोन्स को केंद्र व राज्य सरकार मिलकर तय करेंगे। नो डेवलपमेंट जोन में सिर्फ खेती की अनुमति रहेगी लेकिन यह शर्त होगी कि फसल में किसी प्रकार के रसायन उर्वरक या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
एनजीटी की रहेगी नजर
अधिकारियों ने बताया कि इस पूरे सर्वे पर एनजीटी की नजर रहेगी और अंतिम सीमांकने के बाद इसे एनजीटी से भी स्वीकृति लेनी होगी। जहां नदी के हाइड्रोलाजिकल डाटा का सत्यापन किया जाएगा। साथ ही यह देखा जाएगा कि तराई क्षेत्रों में जलीय संतुलन के लिए क्या किया जा सकता है। एनजीटी द्वारा जैविक दबाव व नदी की धारा परिवर्तन की भी पड़ताल की जाएगी।
बोले अधिकारी : जीवनदायिनी गंगा नदी का सीमांकन होने से कई फायदे होंगे। इसमें सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग होगा जिससे सटीक सीमांकन में सहायता मिलेगी। गंगा में हो रहे प्रदूषण व तराई क्षेत्र के अतिक्रमण भी सामने आएंगे। - पीके सत्संगी, एसई, सिंचाई विभाग, मीरजापुर।