संस्कृत विवि : अभिलेखों के जरिए जालसाजों तक पहुंचने का प्रयास, एसआइटी ने बीएड की प्रवेश सूची की तलब
एसआइटी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा रिकार्डों के माध्यम से जालसाजों तक पहुंचने के प्रयास में जुटी हुई है।
वाराणसी, जेएनएन। एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा रिकार्डों के माध्यम से जालसाजों तक पहुंचने के प्रयास में जुटी हुई है। इस क्रम में गत माह एसआइटी ने वर्ष 2004 से 2014 तक की बीएड की प्रवेश सूची तलब की थी। वहीं जांच का दायरा बढ़ाते हुए अब एसआइटी ने अब विश्वविद्यालय से 1998 से 2003 तक का भी परीक्षा रिकार्ड उपलब्ध कराने को कहा है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय अब 1998 से बीएड की प्रवेश सूची तैयार करने में जुटा हुआ है। ताकि एसआइटी को जल्द से जल्द प्रवेश सूची सौंपी जा सके।
सूबे के विभिन्न जनपदों में बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित विद्यालयों में विश्वविद्यालय के उपाधिधारक बड़े पैमाने पर चयनित हुए थे। विवि पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इसे देखते हुए शासन ने इसकी जांच एसआइटी सौंप दी। एसआइटी अब सूबे सभी जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। अंकपत्रों के सत्यापन को लेकर एसआइटी की टीम कई बार विश्वविद्यालय आ चुकी है। फरवरी में एक बार फिर एसआइटी के टीम के आने की संभावना है।
सत्यापन के लिए बनाया दबाव
इससे पहले विश्वविद्यालय एसआइटी को बीएड वर्ष 2004 से 2014 तक की परीक्षा का टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) व कंप्यूटर में दर्ज रिकार्ड छाया प्रति सौंप चुकी है। दूसरी ओर एसआइटी अंकपत्रों के सत्यापन के लिए भी लगातार विश्वविद्यालय पर दबाव बनाए हुए हैं। वहीं विश्वविद्यालय सूबे 65 जिलों में से 45 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन हो चुका है। शेष 20 जिलों के अंकपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है। हालांकि परीक्षा विभाग अंकपत्रों के सत्यापन में तेजी से जुटा हुआ है। इसके बावजूद अंकपत्रों के सत्यापन में कम से कम एक माह और लग सकता है। बहरहाल एसआइटी के इंस्पेक्टर वीके सिंह मोबाइल फोन के माध्यम से परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।