Sampurnanand Sanskrit University 11 जिलों के अंकपत्रों का फंसा सत्यापन, एसआइटी ने 31 मार्च तक मांगी थी रिपोर्ट
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय 11 जिलों के अंकपत्रों का फंसा सत्यापन एसआइटी ने 31 मार्च तक मांगी थी रिपोर्ट
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी के प्रकोप से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री-आचार्य की परीक्षा फंस गई है। वहीं लॉकडाउन के कारण अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों के सत्यापन का कार्य भी ठप है। जबकि फर्जीवाड़े की जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) ने विश्वविद्यालय से 31 मार्च तक सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी। वहीं 11 जिलों के करीब एक हजार से अधिक शिक्षकों के अंकपत्रों का सत्यापन लंबित है। लॉकडाउन खुलने के बाद विश्वविद्यालय की पहली प्राथमिकताएं परीक्षा कराना होगा। ऐसे में सत्यापन का कार्य अब लंबा खींच सकता है।
दरअसल सूबे के विभिन्न जनपदों में बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित विद्यालयों में विश्वविद्यालय के उपाधिधारक बड़े पैमाने पर चयनित हुए थे। विवि पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इसे देखते हुए शासन ने इसकी जांच करीब दो साल पहले एसआईटी को सौंपी थी। एसआईटी ने 65 जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। इसके तहत एसआईटी के इंस्पेक्टर विनोद कुमार सिंह विश्वविद्यालय से तमाम रिकार्ड मांग चुके हैं। तीन माह पूर्व विवि ने एसआइटी को वर्ष 1998 से 2014 तक का अंक चिट, टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) की छायाप्रति दी थी। टीआर की छायाप्रति के आधार पर एसआइटी स्वयं भी अंकपत्रों के सत्यापन का परीक्षण करने में जुटी हुई है। हालांकि विश्वविद्यालय 65 में से 54 जिलों के डायटों से मिले प्रमाणपत्रों का ही सत्यापन कर चुकी है। करीब चार हजार अंकपत्रों के सत्यापन में लगभग चार सौ अध्यापकों के अंकपत्र जाली हैं। वहीं 11 जिलों के अध्यापकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है। जांच पूरी होने के बाद फर्जी डिग्रीवाले अध्यापकों पर गाज गिरनी तय है।