संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने साक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी फर्जी नियुक्त की रिपोर्ट
फर्जी नियुक्ति के मामले में बदनामी का दंश झेल रहे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार को करीब 50 पेज केे साक्ष्यों के साथ पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज
वाराणसी, जेएनएन। फर्जी नियुक्ति के मामले में बदनामी का दंश झेल रहे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार को करीब 50 पेज केे साक्ष्यों के साथ पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी है। स्पीड पोस्ट से मुख्यमंत्री के निजी सचिव को भेजे गए रिपोर्ट में उच्च स्तरीय जांच कराने की भी संस्तुति की गई है। इसके अलावा इसकी एक प्रतिलिपि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्यालय भी दिया गया है।
चीफ प्रॉक्टर प्रो. आशुतोष मिश्र से मुख्यमंत्री कार्यालय को प्रेषित रिपोर्ट में कहा गया है कि जालसाजों ने सुनियोजित तरीके से विश्वविद्यालय में 15 क्लर्क व आठ परिचारकों की फर्जी तरीके से नियुक्ति का आदेश निर्गत किया है। इससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है।
जबकि विश्वविद्यालय की कोई संलिप्तता नहीं है। साक्ष्य के तौर पर पीडि़तों की ओर से उपलब्ध कराए गए कुछ फोटो ग्राफ व समाचार पत्रों की कटिंग भी भेजी गई है। इसके अलावा जालसाज द्वारा पाणिनी भवन के कक्ष में बैठकर नियुक्ति पत्र बांटते कुछ फोटोग्राफ, तथाकथित चार जालसाज युवकों का नाम, मोबाइल नंबर, चारों के खाते में हरदोई, अमेठी सहित अन्य स्थानों से स्थानांतरित हुए रुपये का विवरण, जालसाजों व ठगी के शिकार युवकों के बीच हुई चेटिंग, जारी फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी आईकार्ड सहित अन्य विवरण भी भेजा गया है। दूसरी ओर भुक्तभोगी युवक किन्हीं कारणवश सोमवार को विश्वविद्यालय नहीं आ सके। बताया जा रहा कि इस युवक के साथ ठगी के शिकार युवकों को विश्वविद्यालय आना था। उस वाहन कहीं एक्सीडेंट हो गई। ऐसे में ठगी के शिकार युवक अब दो-दिन बाद विश्वविद्यालय आ सकते हैं। उधर चेतगंज पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन भी शुरू कर दी है।
कोरोना काल में माफ हो स्पेशल कोर्सेज की फीस
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने सोमवार को फीस माफी को लेकर अपना विरोध जताया। छात्रों ने बताया कि बीएचयू और राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में संचालित कई कोर्सेज में आवश्यकता से अधिक फीस वसूली जाती है। इसमें लगभग 50 हजार से लेकर लाखों रुपये तक छात्रों को अपनी पढ़ाई के लिए चुकाने पड़ते हैं। इस बीच इसका एक ज्ञापन भी कुलपति प्रो. राकेश भटनागर को सौंपा। छात्र नेता मृत्युंजय तिवारी आजाद ने कहा कि इन कोर्स में पढऩे वाले अधिकतर छात्र गरीब तबके से आते हैं और कोरोना महामारी की वजह से उनके अभिभावक इतनी मोटी रकम वहन करने में अक्षम हैं। छात्रों ने मांग की कि विश्वविद्यालय प्रशासन मानवता पूर्ण रवैया अपनाते हुए इस मुद्दे को गंभीरता से ले और छात्रों को उनके शुल्क की वजह से शिक्षा से वंचित न करें। उन्हें एक सीमा तक शुल्क माफी दी जाए। छात्रों ने शुल्क माफ न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।