संविवि के कुलसचिव को हटाया
वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव के बीच मतभेद इतना बढ़ा कि कुलपि
वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव के बीच मतभेद इतना बढ़ा कि कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे ने प्रभाष द्विवेदी को कुलसचिव पद से हटा दिया। उनके स्थान पर वेदांत विभाग के प्रो. सुधाकर मिश्र को कुलसचिव का दायित्व सौंप दिया है। कुलपति की ओर से गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रभाष द्विवेदी अपने मूल पद उपकुलसचिव पद पर कार्य देखते रहेंगे। उन्हें शैक्षिक व समाज कल्याण का दायित्व सौंपा गया है।
विश्वविद्यालय को इन शीर्ष दोनों अधिकारियों के बीच मतभेद का मुख्य कारण अध्यापकों की नियुक्ति बताया जा रहा है। कुलपति अध्यापकों की नियुक्ति पुराने नियम से कर रहे हैं। वहीं कुलसचिव यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार नए नियम से नियुक्ति करने के लिए दबाव बना रहे थे। इतना ही नहीं इसके लिए वे परिनियम में संशोधन करने की बात भी कई बार उठा चुके हैं। उनका कहना है कि राजभवन ने भी परिनियम में संशोधन के बाद ही नियुक्ति करने का निर्देश दिया है जबकि कुलपति अपने चहेतों की नियुक्ति करने के लिए नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। हमने कॉल लेटर पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था। इसे देखते हुए कुलपति ने अब यह कदम उठाया है।
कुलपति प्रो. यदुनाथ दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय में अध्यापकों के 72 पद रिक्त हैं। पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। राजभवन व शासन भी बार-बार अध्यापकों की नियुक्ति के लिए निर्देश दे रहा है। इतना ही नहीं चयन समिति के लिए कुलाधिपति विशेषज्ञ भी नामित कर चुके हैं। वहीं कुलसचिव के रवैये के चलते नियुक्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में कुलसचिव प्रभाष द्विवेदी को मूल पद पर भेजने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था।
इस बीच कुलसचिव प्रभाष द्विवेदी ने कहा कि शासन ने मुझे कुलसचिव पद पर संस्कृत विश्वविद्यालय भेजा था। शासन ही मुझे हटा सकता है। यह कार्य कुलपति के अधिकार क्षेत्र के बाहर का है। वैसे भी शासनादेश के अनुसार किसी भी अध्यापक को प्रशासनिक दायित्व नहीं सौंपा जा सकता है। नियुक्ति में अनियमितता का विरोध करने पर कुलपति द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी जल्द ही शासन व राजभवन को देंगे।