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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या के संरक्षण के लिए संस्कृत प्रेमियों से जुटाएंगे धन

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन बांटने तक का पैसा नहीं है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 09:49 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 09:30 AM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या के संरक्षण के लिए संस्कृत प्रेमियों से जुटाएंगे धन
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या के संरक्षण के लिए संस्कृत प्रेमियों से जुटाएंगे धन

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन बांटने तक का पैसा नहीं है। इसे देखते हुए विवि ने स्वयं अपना एक कोष बनाने का निर्णय लिया है। इस कोष में पूर्व छात्रों, संस्कृत प्रेमियों व दानदाताओं से सहयोग मांगा जाएगा ताकि प्राच्य विद्या का संरक्षण हो सके।  

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कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कार्यपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कुलपति ने बताया कि संस्कृत पढऩे वाले ज्यादातर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। ऐसे छात्रों को आर्थिक सहयोग कर प्राच्य विद्या से जोडऩे का कार्य किया जाएगा। अनुदान के लिए पूर्व छात्रोंं के अलावा विभिन्न संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। देश-विदेश में रहने वाले संस्कृत अनुरागी को इस कोष की स्थापना का उद्देश्य बताकर आर्थिक सहयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा। दानदाताओं को आयकर में छूट भी मिलेगी। वहीं संरक्षित कोष का उपयोग आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का सहयोग करने, शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किया जाएगा। बैठक में उन्होंने बताया कि रोजगार उपलब्ध कराने के लिए टीसीएस ने संस्कृत के छात्रों को कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा का मुफ्त प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है।


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