संस्कृत विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जे का नए सिरे से होगा प्रयास, सामूहिक प्रयास करने की बनी सहमति
दुनिया में प्राच्य विद्या की प्राचीनतम संस्था संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय गत तीन दशकों से केंद्रीय दर्जे की बांट जोह रही है।
वाराणसी, जेएनएन। दुनिया में प्राच्य विद्या की प्राचीनतम संस्था संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय गत तीन दशकों से केंद्रीय दर्जे की बांट जोह रही है। इस संबंध में विवि समय-समय पर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी देती रही है। इसके बावजूद संस्कृत विवि अब भी केंद्रीय दर्जे के चौखट से काफी दूर है। दूसरी ओर केंद्र ने लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ (नई दिल्ली), राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (दिल्ली), राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (तिरुपति) को केंद्रीय दर्जा देने का निर्णय लिया है। तीनों विश्वविद्यालयों को केंद्रीय दर्जा का प्रस्ताव लोकसभा से पारित भी हो गया है। इसे देखते हुए अध्यापक परिषद ने विवि को केंद्रीय दर्जा दिलाने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का निर्णय लिया है।
परिसर स्थित योग साधना केंद्र के संवाद कक्ष में गुरुवार को परिषद के उपाध्यक्ष डा. दिनेश कुमार गर्ग की अध्यक्षता में हुई आम सभा में विवि को केंद्रीय दर्जा दिलाने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने का निर्णय लिया गया। सभा में महंगाई भत्ता, एचआरए, पदोन्नति, एरियर सहित अन्य लंबित भुगतानों का भी प्रकरण उठा। इस संबंध में परिषद कुलपति को एक पत्रक देगा।
डा. गर्ग ने बताया कि परिषद का कार्यकाल बीत चुका है। ऐसे में नए चुनाव की जिम्मेदारी प्रो. रामपूजन पांडेय को सौंपी गई है। वहीं कुछ अध्यापकों ने अध्यापक परिषद के चुनाव के लिए निर्वाचनाधिकारी की नियुक्ति की बात खारिज की है। सभा में प्रो. हर प्रसाद दीक्षित, प्रो. शैलेश कुमार मिश्र, प्रो. जितेंद्र कुमार, प्रो. रमेश प्रसाद, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. शशिरानी मिश्र सहित अन्य लोग शामिल थे।