Move to Jagran APP

संस्कृत विश्वविद्यालय : एसआइटी को अब वाट्सएप से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट, कंप्यूटर से मिलान

अंकपत्रों के सत्यापन को लेकर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय गंभीर है। अब सत्यापन रिपोर्ट की हेराफेरी रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 07:12 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 05:35 PM (IST)
संस्कृत विश्वविद्यालय : एसआइटी को अब वाट्सएप से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट, कंप्यूटर से मिलान
संस्कृत विश्वविद्यालय : एसआइटी को अब वाट्सएप से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट, कंप्यूटर से मिलान

वाराणसी, जेएनएन। अंकपत्रों के सत्यापन को लेकर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय गंभीर है। अब सत्यापन रिपोर्ट की हेराफेरी रोकने के लिए पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं। पंजीकृत डाक के अलावा पुष्टि के लिए अब विशेष जांच दल (एसआइटी) को वाट्सएप पर भी सत्यापन रिपोर्ट भेजी जा रहीं है। ऐसे में अंकपत्रों के सत्यापन में अब हेराफेरी आसान नहीं है।

loksabha election banner

दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित सूबे के विभिन्न जनपदों के परिषदीय विद्यालयों में बड़े पैमाने पर विश्वविद्यालय के उपाधिधारक चयनित हुए थे। विश्वविद्यालय पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। इतना ही नहीं संबंधित संस्थानों को एक ही शिक्षक का दो-दो सत्यापन रिपोर्ट पहुंची गई थी। विश्वविद्यालय के समानांतर फर्जी सत्यापन संबंधित परीक्षार्थी को प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण दर्शाया गया था। वहीं विश्वविद्यालय से जारी सत्यापन रिपोर्ट में उसी अनुक्रमांक पर उसी परीक्षार्थी को फर्जी दर्शाया गया था। शासन ने इसकी जांच एसआइटी को सौंप है। अब एसआइटी सूबे के सभी 75 जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। पिछले तीन सालों में विश्वविद्यालय 66 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर चुकी है। नौ जिलों के अध्यापकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है। एक माह के भीतर सभी जिलों के अंकपत्रों का सत्यापन पूरा होने की संभावना है।

अब कंप्यूटर में दर्ज रिकार्ड से मिलान कर सत्यापन रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सत्यापन रिपोर्ट पर परीक्षा नियंत्रक के अलावा रिपोर्ट बनाने वाले कर्मचारी, सहायक कुलसचिव (परीक्षा), सिस्टम मैनेजर हस्ताक्षर कर रहे हैं। परीक्षा नियंत्रक विशेश्वर प्रसाद ने बताया कि पहले सत्यापन रिपोर्ट तैयार बनाने वाले के अलावा सहायक कुलसचिव का ही हस्ताक्षर होता था।

गाजीपुर व आजमगढ़ से भी जुड़े तार

संस्कृत विश्वविद्यालय के लिपिक व परिचारक पद पर फर्जी तरीके से 23 युवकों की नियुक्ति के तार गाजीपुर व आजममढ़ से भी जुड़े हुए हैं। नौकरी के लिए बेरोजगार युवक गाजीपुर के सादात व आजमगढ़ स्थित चार बैंक खातों में लाखों रुपये स्थानांतरित किया है। भुक्तभोगी युवकों के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन ने पैसा ट्रांसफर होने का साक्ष्य भी जुटा लिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.