अहसास : ख्यात गीतकार समीर ने बनारस में महसूस की दुबई और सिंगापुर जैसी रंगत
समीर ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि 39 वर्ष पहले मुंबई में बसने के बाद से मन में कसक उठती थी कि अपना शहर ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस की गलियों में पले-बढ़े ख्यात गीतकार समीर ने अपने शहर में दुबई-सिंगापुर की रंगत महसूस ली। मंगलवार रात बाबतपुर हवाई अड्डे से शिवपुर स्थित अपने आवास पर आने के दौरान चौड़ी सड़कों व ओवर ब्रिज से गुजरते हुए उन्होंने इसका अहसास किया। दो दिनी निजी प्रवास पर बनारस आए समीर ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि 39 वर्ष पहले मुंबई में बसने के बाद से मन में कसक उठती थी कि अपना शहर ऐसा क्यों नहीं हो सकता। अब बदलाव देख कर लग रहा कि वह दिन दूर नहीं जब बनारस धर्म- अध्यात्म व कला संस्कृति को सहेज रखते हुए चमक-दमक में भी दूसरे शहरों को मात देगा। फोर लेन और बाबा दरबार से गंगा तट तक बन रहा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कारिडोर यह उम्मीद जगा रहा है। उन्होंने अचरज के साथ कहा कि किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक स्थान पर खड़े हो कर बाबा के शिखर और गंगा का दर्शन कर सकेंगे लेकिन बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच ने इस सपने को साकार कर दिया। बनारस तो पहले से ही देशी विदेशी सैलानियों और फिल्म निर्माताओं के आकर्षण का केंद्र था लेकिन सुविधाएं बढ़ने से इस ओर रूझान और भी बढ़ेगा।
बालीवुड की लगभग 650 फिल्मों के लिए चार हजार से अधिक गीत लिख कर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में जगह पा चुके समीर के गीत जल्द ही दबंग-3, हाउसफुल-4, बागी-3, सब कुशल मंगल आदि फिल्मों में सुनने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि मुंबई की भीड़ से जब मन उकता जाता है तो अपना ही गांव ओदार व शहर बनारस याद आता है। यहां संगीत की उत्थान यात्रा के लिहाज से कुछ करने का विचार है, यह बाबा विश्वनाथ पर है कि कब पूरा कराते हैं।
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