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टूटी 120 बसों की कमानी, दगे 20 टायर, निकल रहा बसों का दम

वाराणसी में रोडवेज बसों की हालत खराब है। परिवहन निगम के वर्कशाप के जिम्मेदार गुणवत्ता को कठघरे में खड़े कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 02:38 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 02:38 PM (IST)
टूटी 120 बसों की कमानी, दगे 20 टायर, निकल रहा बसों का दम
टूटी 120 बसों की कमानी, दगे 20 टायर, निकल रहा बसों का दम

वाराणसी, जेएनएन। वह कह रहे हैं कि हर महीने टूट रही करीब 120 कमानी और दग रहे 20 से अधिक टायर जर्जर सड़कों की देन हैं, लेकिन परिवहन निगम वर्कशाप के जिम्मेदार गुणवत्ता को कठघरे में खड़े कर रहे हैं। वैसे इलाहाबाद समेत शाहगंज, गोरखपुर व जौनपुर रूट पर बसों की कमानी शीशे और टायर फट रहे हैं। मुसाफिरों को बीच रास्ते ही छोड़ उनको परिचालक रूट पर चल रही अन्य बसों से गंतव्य की ओर भेज रहे हैं। बसें कम फेरे लगा रही हैं और रोडवेज बसें अड्डे पर देरी से पहुंच रही हैं। सामान्य ही नहीं बल्कि जनरथ और वाल्वो बसों की भी यही दुर्गति है। वर्कशाप कर्मियों की मानें तो बसों के आगे पीछे के मुख्य शीशे और खिड़कियों के शीशे लगभग रोजाना टूट रहे हैं। परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक एसएन पाठक ने बताया कि इतनी ज्यादा कमानी जर्जर सड़कों की वजह से टूट रही है, यह स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर हो रही।

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शाहगंज जाते गांवों में घूम जाती हैं बसें : रास्तों की जर्जर हालत का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि जेसीज चौराहे के बाद बसें सड़क खराब होने और पुलिया टूटी होने के कारण गांव में चली जाती है। गोड़ारी, खुटहन, खेतासराय के सकरे रास्तों से फैजाबाद का रास्ता तय करती हैं।

सुस्त गति से बन रही सड़कें : बस चालकों की मानें तो सड़कें सुस्त गति से बनाई जा रही हैं, दो-दो किलोमीटर के पैच में, जिससे बस की रफ्तार बरकरार नहीं रह पाती। प्रयागराज जाने का दुर्गम रास्ता बस अड्डे से शुरू होकर हरहुआ, कपसेठी, कछवा, भदोही, औराई से हंडिया तक जारी रहता है। सड़कों की जर्जर हालत के चलते बसों में आए दिन खराबी आती है। दो से ढाई घंटे का सफर पांच से छह घंटे का हो जाता है।

जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाती आपूर्ति : वर्कशाप में बसों की मरम्मत के लिए लखनऊ से स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति समय से और आवश्यकता के अनुरूप नहीं हो पाती है। कई बार जरूरत के अनुपात में ही सामान आता है और वो भी 10 से 15 दिनों में।

बड़ी मुश्किल है राजधानी की डगर : बनारस से राजधानी लखनऊ का रास्ता झटकों से खाली नहीें है। यह झटके जौनपुर से लगना शुरू होते हैं और लखनऊ तक ऐसे ही लगते रहते हैं। अमूमन सात से आठ घंटे का सफर 10-12 घंटे का हो जाता है।

परिवहन मंत्री पर भारी सफाई ठेकेदार : परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के साफ सफाई के निर्देश बेअसर दिखाई पड़ रहे हैं। कैंट डिपो वर्कशाप में सफाई के नाम पर लाखों रुपये ठेकेदार को दिए जाते हैं लेकिन ठेकेदार मनमानी पर उतारू कर्मचारी रोजाना बसों से निकलने वाली गंदगी एक ही जगह इकट्ठा कर देते हैं। वर्कशाप में हर तरफ गंदगी का अंबार दिखता है। स्थानीय कर्मचारियों ने बताया कि साफ सफाई के लिए आरएम व एआरएम स्तर से ठेकेदार को ताकीद दी जाती है लेकिन गंदगी हटने का नाम नहीं लेती।


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