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नैनो और वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलॉजी से वाराणसी में बनेंगी सड़कें, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में किया शामिल

एक बस्ती से दूसरे बस्ती में आने-जाने और शहर से गांव को जोडऩे का मुख्य साधन सड़क होती है। यदि सड़क नहीं है तो सब बेकार है। सड़कें बनती हैं लेकिन कुछ ही माह में पूर्ववत या बदहाल हो जाती हैं। आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 11:38 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 03:32 AM (IST)
नैनो और वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलॉजी से वाराणसी में बनेंगी सड़कें, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में किया शामिल
मजबूत और टिकाऊ सड़क बनाने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी मैटेरियल व वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलाजी सड़क बनाने का निर्णय लिया है।

वाराणसी, जेएनएन। एक बस्ती से दूसरे बस्ती में आने-जाने और शहर से गांव को जोडऩे का मुख्य साधन सड़क होती है। यदि सड़क नहीं है तो सब बेकार है। सड़कें बनती हैं, लेकिन कुछ ही माह में पूर्ववत या बदहाल हो जाती हैं। आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अब शासन ने मजबूत और टिकाऊ सड़क बनाने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी मैटेरियल और वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलाजी सड़क बनाने का निर्णय लिया है। लोकनिर्माण विभाग ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांव की पांच सड़कों में से तीन नैनो टेक्नोलाजी मैटेरियल और दो सड़क वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलाजी बनाने जा रहा है। यह सड़क बारिश और जलभराव में भी जल्द खराब नहीं होगी। प्रयोग सफल होने पर लोकनिर्माण विभाग अन्य सड़कों को भी बनाना शुरू करेगा।  

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लोकनिर्माण विभाग ग्रामीण क्षेत्र की कुछ सड़कों को बनाता है लेकिन जलनिकासी नहीं होने के चलते कुछ ही दिनों में सड़क खराब हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में सड़क के किनारे रहने वाले लोग अपने घर का पानी बाहर गिराते हैं। सड़कों पर पानी लगने या जलभराव होने पर सड़क कुछ ही माह में ही खराब हो जाती है। बार-बार सड़क खराब होने और लोगों के आवागमन में परेशानी होने पर शासन ने अब गांवों में नैनो टेक्नोलाजी मैटेरियल और वेस्ट प्लास्टिक टेक्नोलाजी सड़क बनाने का निर्णय लिया है। 

क्या है नैनो और वेस्ट टेक्नोलाजी

सामान्य सड़कों की अपेक्षा यह सड़क अलग तरीके से बनाई जाती है। तारकोल, गिट्टी समेत अन्य मैटेरियल के साथ प्लास्टिक का अंश होता है। प्लास्टिक का अंश होने बारिश या लोगों के घरों का पानी उसमें रसीने या लगने की बजाय जिस दिशा में ढाल होगी उधर चला जाएगा। पानी लगने पर भी सड़क जल्द खराब नहीं होगी। 

इन सड़कों का किया गया चयन

21.33 लाख - एनएच-2 बाईपास, रमसीपुर से नवापुरा वाया पंडितपुर, मिश्रपुर तक तीन किलोमीटर। 

21.75 लाख - अकेलवा से मोहनसराय होते हुए करसड़ा तक 3.06 किलोमीटर

22.03 लाख  - अकेलवा से मोहनसराय, गंजारी हरतोस से अदलपुरा तक तीन किलोमीटर

50.77 लाख - एसएच-73 किमी. 17 से तेवर, पलही पट्टी तक 6.35 किलोमीटर 

31.17 लाख  - एसएच-53 किमी.14 से आयर बाजार तक चार किलोमीटर

पांच सड़कों को प्लास्टिक की सड़क बनाने का निर्णय लिया गया है

बारिश और जलभराव होने पर सड़कें ज्यादा खराब होती हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पांच सड़कों को नई तकनीकी यानि प्लास्टिक की सड़क बनाने का निर्णय लिया गया है। निविदा निकाली गई है। प्रक्रिया पूरी होते ही प्लास्टिक की सड़क बनाने का काम शुरू हो जाएगा।

-सुग्रीव राम, अधिशासी अभियंता, लोकनिर्माण


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