अपनी काशी में नहीं टूट रही व्यवस्थाओं की उदासी
वाराणसी की मान्यता है कि यह पुराणों से भी पुरानी है मगर नगरीय व्यवस्था उसके अनुरुप तो कतई नहीं।
वाराणसी : पुराणों से भी पुरानी काशी जहां अब प्रवासी भारतीय दिवस की वैश्रि्वक तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं, जहां स्मार्ट सिटी की दौड़ में व्यवस्थाएं सरपट सड़कों पर दौड़ाने की तैयारियां हैं। जहां क्योटो बनाने की मंशा है, जहां गलियों के शहर काशी को आधुनिक कलेवर देने के लिए सरकारी मंशा है ताकि एक मॉडल के तौर पर अपने काशी को वैश्विक पटल पर स्थापित करें। काशी जहां चार वर्षो में विश्व के तीन शीर्ष राष्ट्राध्यक्ष आकर इसका बखान कर चुके हैं। मगर जो काशी प्रशासन उनको दिखाता है अमूमन यह वो काशी तो कतई नहीं जो गलियों और कालोनियों में दुश्वारी में जी रही होती है।
कहीं दूर नहीं जाना अमूमन हर गली मोहल्ले की नारकीय स्थिति काशी की छिपी हुई दुर्दशा की कहानी कहती नजर आती है। नजीर के तौर पर शहर के अशोकपुरम कॉलोनी में मीरापुर बसही से भोजूबीर को जाने वाली सड़क को ही लें। तस्वीर एक जागरुक पाठक ने भेज कर अपने मोहल्ले की कहानी साझा की है। जहां थोड़ी सी बारिश होने पर कई दिनों तक जलजमाव रहता है। कच्ची सड़क और जल निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था न होने से कीचड़ के बीच लोगों का वर्षो से आना-जाना मानो नियति बन चुकी है।
कॉलोनी के लोग बताते हैं कि आज तक जल निकासी के लिए कोई प्रयास शासन प्रशासन के स्तर पर नही किया गया। मुख्य सड़कों को छोड़कर प्राय: हर गली मोहल्ले में जलजमाव से लोग जूझ रहे हैं। स्थानीय लोग जल निकासी को लेकर प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई जिम्मेदार इस ओर मानो झांकना ही नहीं चाहते। जल जमाव और कीचड़ के साथ ही स्ट्रीट लाइटें भी बदहाल होने से चोर उचक्कों का जमावड़ा आम बात है। कूड़ेदान निष्प्रयोज्य के हालात में पड़े हैं। नगर निगम के कर्मचारी समय पर कूड़ा नही उठाते हैं, जिससे जगह-जगह कूड़े का ढ़ेर लगा है। चुनावी शोर में स्थानीय मुद्दा दब जाता है, निगम की वसूली तो वही रहती है मगर नागरिक सुविधाओं का हाल वही बना रहता है।