पुण्य की कामना से गंगा में लगाई आस्थावानों ने डुबकी, किया स्नान-दान
ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी पर सोमवार को निर्जला एकादशी व्रतियों ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी पर सोमवार को निर्जला एकादशी व्रतियों ने गंगा में दीर्घायुष्य व आरोग्य कामना की डुबकी लगाई। जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति और चारो पुरुषार्थो की प्राप्ति के निमित्त आराध्य देवों का सविधि से ध्यान किया। पुरोहितों को ऋतु अनुसार शीत प्रदाता वस्तुओं का दान किया। प्रदोष बेला के संयोग में किए गए इस स्नान व धार्मिक विधान से दोहरा पुण्य फल अर्जित कर लिया।
स्नान दान के लिए रविवार की शाम से ही गंगा के अलग- अलग घाटों पर विभिन्न जिलों व अन्य प्रांतों से आए हुए श्रद्धालुओं की जुटान हो गई। रात में सीढि़यों व प्लेटफार्म पर बैठे-सोये आस्थावानों ने प्रभु का ध्यान भजन किया। हरिकीर्तन, लोक से जुड़े देवी आराधना के गीतों व भजनों से गंगा का किनारा गुंजाया और ब्रह्ममुहूर्त के साथ ही हजारों- हजार की कतार गंगधार में पुण्य की कामना से उतर गई। स्नान-ध्यान के बाद तमाम श्रद्धालुओं ने घाट पर ही बाटी- चोखा समेत विभिन्न पकवान अपने हाथों ने बनाए। पुरोहितों को भोजन कराया और उन्हें सामर्थ्य अनुसार स्वर्ण, जलयुक्त कलश, चीनी आदि को दान में देकर कठिन निर्जला व्रत का पारन किया। इस दौरान घाटों पर बच्चों के मुंडन संस्कार भी कराए गए। पर्व विशेष के कारण दशाश्वमेधघाट, शीतलाघाट, पंचगंगा, केदारघाट समेत गंगा के कई पाटों पर रेला उमड़ता रहा। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस बार स्वाती नक्षत्र व सिद्धयोग का संयोग होने से निर्जला एकादशी बेहद खास रही। पारन बेला में प्रदोष का भी योग बनने से स्नान-दान दोहरा फल देने वाली रही। ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।