भूले-भटके, अशक्त और बीमार लोग जिनका कोई नहीं उनके लिए इस देवदूत का स्थाई पता बनारस ही है
दारानगर निवासी ऋषिराज पांडेय आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यूं कहें कि भूले-भटके असक्त और बीमार लोगों के लिए देवदूत हैं तो गलत नहीं होगा।
वाराणसी [हरि नारायण तिवारी]। दारानगर निवासी ऋषिराज पांडेय आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यूं कहें कि भूले-भटके, असक्त और बीमार लोगों के लिए देवदूत हैं तो गलत नहीं होगा। सड़क किनारे बीमार पड़े गरीबों की मदद करते हैं। ऋषि दीन-दुखियों की सेवा के साथ ही घर से बिछड़कर वाराणसी पहुंचे लोगों को प्रशासन और गूगल मैप की मदद से उनके परिजनों से मिलाते हैं।
ऐसे लोगों की मदद करते हैं जिनका उपचार करने से चिकित्सक भी कतराते हैं। ऋषि बताते हैं कि उनका सामना अक्सर मानसिक रूप से कमजोर लोगों से होता है। कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके पैरों में सड़न रहती है। वैसे लोगों की मरहम-पट्टी कर चिकित्सक से इलाज कराते हैं। एलएलबी के छात्र ऋषि की खामोशी से किए गए कामों ने ऐसा शोर मचाया कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके।
मां के इलाज के दौरान दीन-दुखियों की मदद का लिया प्रण : वर्ष 2016 में ऋषिराज की मां की तबियत बिगड़ी तो उन्हें इलाज के लिए कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया। यहां लावारिस वार्ड के पास मानसिक रूप से कमजोर असहाय वृद्ध कूड़े-कचरे में भोजन की तलाश कर रहे थे। वह पैर में सड़न होने के कारण दर्द से कराह रहे थे। इस विभत्स दृश्य ने ऋषि को अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने दीन-दुखियों की मदद का प्रण लिया और अभी तक एक हजार से अधिक लोगों की मरहम-पट्टी कर उनका इलाज करा चुके हैं। वे कांवरिया यात्रा, कुंभ स्नान जैसे मौके पर भी घूमकर लोगों की मदद करते हैं।
बेटे ने ठुकराया तो ऋषि ने अपनाया : ऋषिराज बताते हैं कि तीन साल सेवा के इस सफर में कई मामले ऐसे आए जो दिल को झकझोर कर रख दिए। सालभर पहले उनकी मुलाकात मंडलीय अस्पताल में पांडेयपुर क्षेत्र निवासी एक 60 वर्षीय वृद्ध से हुई। वह शरीर के दाहिने हिस्से से लकवाग्रस्त था और बेड पर कराह रहा था। जब ऋषि ने वृद्ध का हाल जाना तो पता चला उनके बेटे उन्हें भर्ती कराकर चले गए हैं। दोनों बेटों से संपर्क किया तो उनका जवाब था, हम बहुत व्यस्त रहते हैं आप मुझसे रुपये ले लीजिए और पिता जी का ध्यान रखिए।
साहब से मिलती है धमकी : सड़न से कराह रहे दीन-दुखियों की मरहम-पट्टी कर ऋषि जब अस्पताल में उपचार के लिए लेकर पहुंचते हैं तो चिकित्सक इलाज से कतराते हैं। ऐसे में आलाधिकारियों से शिकायत के बाद उपचार तो होता है लेकिन इसके बाद ऋषि को धमकियां भी मिलती हैं।
इन लोगों की करते हैं मदद
-घायल असहाय लोगों का प्राथमिक उपचार कर चिकित्सक से पूर्ण इलाज कराना।
-कोई भटक कर यदि वाराणसी पहुंच जाए तो जिला प्रशासन या गूगल की मदद से उसे परिजनों से मिलाना।
-सड़क पर पड़े लोगों को वृद्धाश्रम पहुंचाना।
-मरीज को खून की जरुरत होने पर उसकी व्यवस्था कराना।