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ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में मिले शिवलिंग की पूजा का मांगा अधिकार, महंत डा. कुलपति तिवारी जाएंगे अदालत

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान नंदी के ठीक 40 फीट के सामने मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की मांग महंत कुलपति तिवारी ने की है। वह 23 मई को अदालत का रुख भी करने जा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 09:20 PM (IST)
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में मिले शिवलिंग की पूजा का मांगा अधिकार, महंत डा. कुलपति तिवारी जाएंगे अदालत
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अब शिवलिंग पूजन को लेकर अदालत का रुख दोबारा होने जा रहा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का मामला ठंडा होता नहीं दिख रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रकरण अब जिला जज की अदालत तक पहुंच चुका है। लेकिन, अब सर्वे में मिले शिवलिंग की पूजा करने का अधिकार मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने मांगा है। इस बाबत उन्‍होंने 23 मई को अदालत में वाद दाखिल करने की बात कही है। अब वजूखाने में नंदी के ठीक सामने मिले शिवलिंग को लेकर हिंदू पक्ष पूजन के अधिकार को लेकर अदालत की चौखट पर जाने की तैयारी में जुट गया है। 

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ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा और राग भोग के अधिकार को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर महंत डा. कुलपति तिवारी मुकदमा दायर करेंगे। डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि विश्ववेश्वर मंदिर के पूजा पाठ का दायित्व उनके पूर्वज ही निभाते रहे हैं। साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद जब पुन: बाबा का सबसे सामने आ गए हैं तो उनकी नित्य पूजा अर्चना भी आरंभ हो जानी चहिए। पूजा पाठ आदि का आधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए। इस मांग को लेकर ही मैं जिला अदालत में वाद दाखिल करने वाला हूं। वकीलों की टीम ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर वकालतनामा तैयार कर रही है।

उन्होंने कहा कि मस्जिद के तहखाने में कई और शिवलिंग भी विराजमान हैं। विश्ववेश्वर लिंग सहित उस परिसर में विराजमान सभी शिवलिंगों के नित्य पूजन अर्चन का अधिकार महंत परिवार को मिलना चाहिए। डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि वाद दाखिल करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो 23 मई को वाद दाखिल कर दिया जाएगा। डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि बाब सबके हैं। हर कोई बाबा की पूजा करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन पूजन अर्चन के साथ ही साथ राग भोग और शृंगार की व्यवस्था भी शास्त्रों के अनुसार चलती रहे इसके लिए महंत परिवार को यह दायित्व दिया जाना जरूरी है।


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