साइकिल पर प्रवासियों की सवारी सब पर भारी, रास्ते में लोगों ने मदद कर बढ़ाया हौसला
साइकिल पर प्रवासियों की सवारी सब पर भारी दिखाई दिए रास्ते में लोगों ने मदद कर हौसला बढ़ाया तो कदम भी बढ़ते गए।
वाराणसी [अशोक सिंह]। देश में कोरोना संक्रमण की बात से अधिक अब एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रवासियों के आने-जाने और उनकी दिक्कतों की हो रही है। किसी के पैदल चलते-चलते पैर में छाले पड़ गए हैं तो कोई भूसे की तरह भरे ट्रकों से अपने घर पहुंच रहा है। ट्रेनों के इंतजार में लोग प्लेटफार्म पर कई-कई दिन गुजार दे रहे हैं। लंबी दूरी की ट्रेनों में तो पीने के पानी से जूझ रहे हैं। इस सब के बावजूद इस पलायन में साइकिल से अपने गांव लौटने वाला प्रवासी सब पर भारी रहा। साइकिल से अपने गंतव्य को रवाना प्रवासी बिना किसी संक्रमण और पुलिस की रोकटोक के अपने गंतव्य को पहुंच गए। लोगों ने रास्ते में देखा तो उनको भोजन और पानी देकर हौसला बढ़ाया। वैसे देश में बहुत से लोग साइकिल से भारत भ्रमण करते रहते हैं। हाईवे पर कई लोग और समूह साइकिल पर दिखे।
लॉकडाउन 1 में जब कहीं भी आवाजाही नहीं हो रही थी तब सारनाथ के जयप्रकाश सिंह ने पड़ोस के खोमचा लगाने वाले सोमारू को तीन दिन नहीं देखा। पता लगाया तो अपने निर्धारित स्थान पर नहीं मिला। फोन किया तो बताया कि हम तो कले मुजफ्फनगर गांव आ गईली। रामजतन से साइकिल ले ढाई दिन में पहुंच गए।
बिहार के नरहट निवासी पंकज सिंह गुजरात में ठेकेदार के साथ मार्केटिंग का कार्य करते थे। लॉकडाउन में ठेकेदार बकाया लेकर भाग गया। तब घर परिवार की याद आई और सात सौ रुपया लेकर गांव के लिए निकल गए। बीते 25 मई को वाराणसी पहुंचे। रुपये तो चंद ही बचे थे लेकिन जज्बा पूरा था जो लक्ष्य का मददगार था।
औसत गति 13 किलोमीटर
परम्परागत साधारण साइकिल की औसत गति करीब 13 किलोमीटर तक होती है। खाली हाईवे पर चालकों ने प्रतिदिन 150 से 180 किलोमीटर तक की दूरी तय की। वाराणसी से मुम्बई 1555 किलोमीटर, मुजफ्फरनगर 304, गुडग़ांव 851, दिल्ली 846 किमी है।
महानगरों में कार तेज स्पीड
अरबन एंड रीजनल डवलपमेंट प्लांस फार्मूलेशन एंड इम्प्लीमेंटेशन के शोध के अनुसार महानगरों के ज्यादातर हिस्सों में साइकिल की औसत गति 12 किलोमीटर प्रति घंटा है वहीं कार की गति 4.5 से 8 किलोमीटर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महानगरों में सार्वजनिक परिवहन जो 50 फीसद से अधिक होनी चाहिए वह घट कर 11 फीसद रह गई है। राष्ट्रीय शहर परिवहन नीति के अनुसार साइकिल और पैदल 31 फीसद होना चाहिए जो घट कर सात रह गया है।
आने वाली है सस्ती साइकिल
परम्परागत सामान्य साइकिल बाजार में 3300 से 3700 रुपये में मिल रही है। हीरो जैसी कंपनी ने पिछले वर्ष घोषणा किया था कि वह डिजाइनर साइकिल की बजाय गांव के लोगों के लिए जल्दी ही सस्ती साइकिल लाएगी। 2500 से 2800 रुपये में लाएगी। अभी साइकिल पर वस्तु और सेवाकर 12 फीसद है। इसमें छूट मिले तो साइकिल के प्रचलन को बढ़ाया जा सकता है।