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ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में तथ्यों के अभाव में खारिज हुई पुनरीक्षण याचिका, जानिए पूरा प्रकरण

वाराणसी में चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में तथ्यों के अभाव में पुनरीक्षण याचिका शुक्रवार को आखिरकार खारिज हो गई है। इस मामले में वाराणसी की अदालत ने वादी की ओर से पर्याप्‍त तथ्‍यों के न होने का हवाला दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 06:52 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 06:52 PM (IST)
ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में तथ्यों के अभाव में खारिज हुई पुनरीक्षण याचिका, जानिए पूरा प्रकरण
ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में तथ्यों के अभाव में पुनरीक्षण याचिका खारिज हो गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। वाराणसी में ज्ञानवापी प्रकरण में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका को जिला जज डा.अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। ज्ञानवापी परिसर स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर के मूल स्वरूप को बदलने एवं धार्मिक प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने प्रार्थना पत्र निचली अदालत (विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) में दिया था। प्रार्थना पत्र खारिज होने के बाद जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

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याचिका खारिज करने आदेश में जिला जज ने कहा कि निचली अदालत की ओर से 30 मई 2022 को पारित आदेश में कोई अवैधानिकता व अनियमितता प्रतीत नहीं होती है। उक्त आदेश विधि के अनुसार पारित किया गया है। आवेदन तभी पोषणीय है जब प्रार्थना पत्र में तथ्य का उल्लेख किया गया हो। जिसके आधार पर विपक्षी द्वारा कोई संज्ञेय अपराध कारित किया जाना प्रकट होता हो। अदालत ने कहा कि मेरे विचार में आवेदक ने स्पष्ट रूप से ऐसे किसी भी तथ्य का उल्लेख नहीं किया है जिसके आधार पर विपक्षी द्वारा कोई संज्ञेय अपराध कारित किया गया हो। ऐसी स्थिति में निचली अदालत में उक्त वाद को पंजीकृत किये जाने के स्तर पर ही आवेदक और पुनरीक्षणकर्ता का प्रार्थना पत्र खारिज करने में कोई त्रुटि नहीं की है। उपरोक्त विवेचन के प्रकाश में यह पुनरीक्षण याचिका खारिज होने योग्य है।

विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित काशी विश्वेश्वर मंदिर के मूल स्वरूप की पुताई,अन्य साधनों द्वारा बदलने एवं धार्मिक प्रतीकों को नष्ट करने का आरोप लगाते हुए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव एमएस यासीन एवं अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अपील करते हुए विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। निचली अदालत ने 30 मई को प्रार्थना पत्र को यह कहकर खारिज कर दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर प्रकरण को लेकर सिविल वाद जिला न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसी स्थिति में प्रार्थना पत्र पोषणीय नहीं है।


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