विलय प्रस्ताव के विरोध में एकजुट राजस्व कर्मी, विरोध में 10 से प्रदेश भर में आंदोलन करेगा महासंघ
प्रदेश सरकार का मानना है कि चकबंदी प्रक्रिया में बहुत विसंगतियां हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी 10 अक्टूबर से इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे।
वाराणसी, जेएनएन। प्रदेश सरकार का मानना है कि चकबंदी प्रक्रिया में बहुत विसंगतियां हैं। चकबंदी वादों के निस्तारण में विलंब होता है। पूरे विभाग में गुणात्मक सुधार की जरूरत है, इसलिए चकबंदी का राजस्व विभाग में विलय जरूरी है। वहीं राजस्व कर्मी इस विलय के पक्ष में नहीं हैं, उनका मानना है कि जो स्वयं बिगड़ा हुआ है वह राजस्व में आकर उसे भी बिगाड़ देगा। राजस्व विभाग के अधिकारी 10 अक्टूबर से इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे।
शासन की सोच है कि चकबंदी विभाग का लाभ आम जन को मिले, इसके लिए चकबंदी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की जरूरत है। इसके लिए विलय (समायोजन) किया जाना ही प्रमुख रास्ता है। चकबंदी के अधिकारियों को राजस्व परिषद के अधीन प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया जाना है, जिसका राजस्व कर्मी विरोध कर रहे हैं। सभी ने मिलकर राजस्व महासंघ बनाया है। लेखपाल संघ के रामबहाल मौर्य का कहना है कि इससे राजस्व विभाग में विसंगतियां उत्पन्न हो जाएंगी। समस्या घटने की बजाय बढ़ेंगी। चेताया कि अगर सरकार नहीं मानी तो राजस्व संवर्ग के 40 हजार कर्मी विरोध के लिए बाध्य होंगे।
क्या आएगी समस्या
-क्या होगा जिन 1100 गांवों में अभी तक पहले चक्र की चकबंदी नहीं हुई शुरू।
-चकबंदी वाले गांवों में करीब 100 वर्ष के अभिलेख हैं, जिनके नवीनीकरण नहीं होने से भूमि विवाद बढ़ेगा।
-चकबंदी से सार्वजनिक प्रयोग की भूमि, विद्यालय, स्कूल, चकमार्ग, नाली, बंजर, ऊसर आदि उपलब्ध नहीं हो पाएंगे।
-चकबंदी तकनीकी व खास तरह की प्रक्रिया है जिसकी जरूरत नियमित है।
-विलय के बाद राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली से अनभिज्ञ व गैरअनुभवी कर्मी व अधिकारी राजस्व में आ जाएंगे।
-तीन दशक से पदोन्नति नहीं पाए राजस्व कर्मियों की वरिष्ठता प्रभावित होगी।
-राजस्व अधिकारियों की पदोन्नति व ज्येष्ठता खतरे में पड़ जाएगी।
महासंघ में कौन-कौन हैं शामिल
लेखपाल संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह का कहना है कि विरोध के लिए राजस्व कर्मियों ने राजस्व महासंघ बना लिया है। इसमें प्रोन्नत डिप्टी कलेक्टर, राजस्व प्रशासनिक अधिकारी, मिनिस्ट्रीयल कलेक्ट्रेट संघ, लेखपाल संघ, संग्रह अमीन आदि शामिल हैं।