बीएचयू में रेजीडेंट डाक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी
वाराणसी : डाक्टरों को धरती के भगवान की संज्ञा दी गई है। कारण कि वह लोगों की जान बचा
वाराणसी : डाक्टरों को धरती के भगवान की संज्ञा दी गई है। कारण कि वह लोगों की जान बचाने में वे भी सहायक बनते हैं। यही कारण हैं कि सरकार मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस, पीजी, जेआर, एसआर की शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। ताकि अच्छे डाक्टरों की पौध भी तैयार हो और मरीजों को उचित उपचार भी मिले, लेकिन गुरुवार को भी काशी ¨हदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में आए हजारों मरीजों को परेशान होना पड़ा। कारण कि मंगलवार को ओपीडी में छात्रों के साथ हुई मारपीट के बाद जूनियर डाक्टर हड़ताल पर चले गए। इससे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई मरीज और उनके परिजन जूनियर रेजीडेंटों के सामने गिड़गिड़ाते रहे लेकिन उन्होंने उनकी समस्याएं नहीं सुनी। सीनियर रेजीडेंट और सीनियर डाक्टरों ने ओपीडी में मरीजों की समस्या का हल करने का प्रयास किया। उनका प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा के सामान था। जूनियर रेजीडेंटों के हड़ताल पर जाने से आपरेशन और जांच भी प्रभावित हुआ। समाचार देते समय तक अधिकारी जूनियर रेजीडेंटों को मनाते रहे लेकिन वे हड़ताल पर अड़े रहे।
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बिहार के मोतीहारी से आई 60 वर्षीय गिरजा देवी ने बताया कि वह पेट की बीमारी से ग्रस्त है। सुबह डाक्टरों ने उनको चैंबर में बुलाया। कुछ देर बाद कहा कि वह हड़ताल पर हैं, बाहर जाएं। उनके साथ आए लोगों का कहना था कि हम लोगों को आज की तारीख दी गई थी। अब हम लोग कहां जाएं। मोतीहारी कोई पास में तो नहीं है। समझ में नहीं आ रहा है क्या करें, बस आंखों में आंसू है। दिल में कसक है।
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सेवापुरी के सिखरी गांव निवासी 70 वर्षीय जवाहर लाल निरहू ओपीडी के बाहर स्ट्रेचर पर लेटे थे। दर्द के कारण बोलने में असमर्थ थे। उनके साथ आए परिजनों का कहना था कि यहां पर उनको देखने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में हम लोग ने कई बार जूनियर रेजीडेंटों से गुजरिश की, लेकिन किसी ने देखने की जहमत नहीं उठाई।
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सूत्रों का कहना है कि हड़ताल के बहाने मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा गया। यह भी बताते है कि किसी को लाभ पहुंचने के लिए ऐसा किया गया था। वहीं हड़ताल के कारण गरीब और असहाय मरीजों को काफी पैसा खर्च करना पड़ा
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ये हुए भर्ती और डिस्चार्ज
सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू के रिकॉर्ड विभाग ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि बुधवार को ओपीडी में 2800 पर्ची बिकी। 2534 रोगियों का पंजीकरण हुआ। 50 आपरेशन और 2640 सीसीआइ जाच हुई। 110 लोगों को डिस्चार्ज किया गया और 50 आपरेशन हुए। 190 लोगों की रेडियोलाजी में जांच हुई।
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आधा खाली हो गया अस्पताल
बीएचयू के सर सुदंरलाल अस्पताल की ओपीडी में अमूमन रोज 5000 से अधिक मरीज आते हैं। इसी के अनुपात में अन्य कार्य होते हैं। यह है घटना
चौबेपुर थाना क्षेत्र के सोनबरसा निवासी व बीएचयू का छात्र आकाश मिश्र ओपीडी में दिखाने गया था। यहां पर डाक्टरों के साथ नोकझोंक हुई। छात्र ने डाक्टरों पर मारपीट का आरोप लगतो हुए लंका थाने में तहरीर दी। इसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी।
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