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Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth में अब साफ्टवेयर से शोध मौखिकी, एक साथ एक हजार लोग जुड़ सकेंगे ऑनलाइन

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन ऑनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने में जुटा है। इसके लिए विवि ने एक वर्ष के लिए 3.18 लाख रुपये में वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 11:44 AM (IST)
Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth में अब साफ्टवेयर से शोध मौखिकी, एक साथ एक हजार लोग जुड़ सकेंगे ऑनलाइन
Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth में अब साफ्टवेयर से शोध मौखिकी, एक साथ एक हजार लोग जुड़ सकेंगे ऑनलाइन

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी ने शिक्षण संस्थानों को भी ऑनलाइन के लिए बाध्य कर दिया। हालांकि शुरू में इसे लेकर सवाल खड़े किए गए लेकिन धीरे-धीरे प्राथमिक से लगायत विश्वविद्यालय ऑनलाइन की राह पर चल पड़े। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन तो ऑनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने में जुटा है। इसके लिए विवि ने एक वर्ष के लिए 3.18 लाख रुपये में वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा है। इससे एक साथ एक हजार लोगों को ऑनलाइन जोड़ा जा सकता है। इस साफ्टवेयर से शोध मौखिकी भी कराई जाएगी।

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शासन ने विश्वविद्यालयों से यात्रा, कागज सहित अन्य खर्चों में कटौती करने का निर्देश दिया है। ऐसे में अब सेमिनार का स्थान वेबिनार ने ले लिया क्योंकि इसमें खर्च कम है। सेमिनार के नाम पर वक्ताओं के टीए-डीए, स्मृति चिह्न, माला, खाने-पीने में एक बड़ी धनराशि खर्च होती है जो वेबिनार में नहीं खर्च करनी होगी। वेबिनार में देश-विदेश के विद्वान आसानी से सुलभ हो जाते हैं। उनके समय की बचत भी होती है।

इसे देखते हुए विद्यापीठ ने ऑनलाइन प्लेटफार्म को बढ़ावा देने के क्रम में सोशल वर्क, एजुकेशन, मानविकी संकाय, गांधी अध्ययनपीठ को वेबएक्स से जोड़ रहा है। अगले चरण में गंगापुर, भैरवतालाब व सोनभद्र स्थित एनटीपीसी परिसर को भी इस साफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा। यह सुविधा शुरू होने पर विभिन्न संकायों में स्क्रीन लगाए जाएंगे ताकि छात्र व शोधार्थी सीधे वेबिनार से जुड़ें और विद्वानों से सवाल भी कर सकें। 

कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने बताया कि ऑनलाइन को स्थायी प्लेटफार्म बनाने के लिए वेबएक्स सिस्को साफ्टवेयर खरीदा गया है। गत सप्ताह इसी साफ्टवेयर से सभी वेबिनार आयोजित किए गए। इसकी पिक्चर व आवाज की क्वालिटी बेहतर है। रिकार्डिंग की सुविधा से विद्वानों के लेक्चर का लाभ बाद में भी उठाया जा सकता है। शोध मौखिकी का रिकार्ड होने के कारण आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति नहीं आएगी।


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