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वाराणसी केंद्रीय कारागार में इस वर्ष रिकार्ड आलू उत्पादन, गत वर्ष से हुआ दोगुना फसल

वाराणसी केंद्रीय कारागार में बंद कैदियों के श्रम से हर वर्ष 40 लाख से अधिक मूल्य की सब्जी का उत्पादन होता है। इस वर्ष 1100 क्विंटल से अधिक आलू का रिकार्ड उत्पादन हुआ है जो गत वर्ष के उत्पादन का दोगुना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 11:40 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 11:40 AM (IST)
वाराणसी केंद्रीय कारागार में इस वर्ष रिकार्ड आलू उत्पादन, गत वर्ष से हुआ दोगुना फसल
केंद्रीय कारागार में बंद कैदियों के श्रम से 40 लाख से अधिक मूल्य की सब्जी का उत्पादन होता है।

वाराणसी, जेएनएन। केंद्रीय कारागार में बंद कैदियों के श्रम से हर वर्ष 40 लाख से अधिक मूल्य की सब्जी का उत्पादन होता है। इस वर्ष 1100 क्विंटल से अधिक आलू का रिकार्ड उत्पादन हुआ है, जो गत वर्ष के उत्पादन का दोगुना है। केंद्रीय कारागार में बंद 1700 कैदियों पर रोज करीब चार क्चिंटल सब्जी की खपत है। हर साल करीब 20 लाख से अधिक की सब्जी मंडल के जिला कारागारों में भी भेजी जाती है। कारागार प्रशासन का सब्जी बीज के लिए बीज निगम से करार है।

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वरिष्ठ जेल अधीक्षक अरविंद सिंह ने बताया कि 1700 बंदियों के लिए पर्याप्त सब्जियों के उत्पादन के अलावा आसपास की कई जेलों को आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जाती है। इस साल 12 एकड़ में आलू की खेती कराई गई थी। जिसमें प्रति एकड़ औसतन करीब 88-100 क्विंवटल उत्पादन हुआ है। कुल मिलाकर 1100 क्चिंटल से अधिक आलू उत्पादित हुआ है। लगभग पांच सौ ङ्क्षक्वटल आलू अपने लिए रखकर कारागार प्रशासन करीब छह सौ क्चिंटल अन्य जिला जेलों में भेजता है।

सब्जी के मामले में आत्मनिर्भर

प्रशासन की सूझबूझ, कैदियों की मेहनत की बदौलत कारागार कई वर्षो से सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर है। परिसर के अंदर व बाहर स्थित 29 एकड़ जमीन पर खेती की जाती है। जरूरत से ज्यादा उपज होने से आसपास के अन्य जेलों को करीब 20 लाख से अधिक की सब्जी भेजी जाती है।

एक कैदी पर 230 ग्राम खपत

कारागार में 1700 कैदी हैं। एक कैदी पर रोज 230 ग्राम सब्जी की खपत है। करीब चार क्चिंटल यानी बाजार मूल्य से औसतन आठ हजार रुपये की सब्जी की रोज खपत है। गर्मी के लिए करीब 15 एकड़ में गोभी, ब्रोकली, लौकी, टमाटर, तरोई और पालक समेत अन्य सब्जियों की खेती हो रही है।

कृषि विशेषज्ञ की सलाह से खेती

खेती करने में कृषि विशेषझ की सलाह भी ली जाती है। करीब चार सौ ङ्क्षक्वटल कटहल आठ जिलों के कारागार में हर वर्ष भेजा जाता है। विभिन्न आयुवर्ग के कैदियों की टोली बंदीरक्षकों की निगरानी में सुबह खेती की देखरेख में जुटती है और दोपहर तक तत्परता से इसमें लगी रहती है। जेल में सब्जी की खेती में कई कैदी लगे हैं।

स्वावलंबन के लिए प्रशिक्षण भी

बंदियों को स्वरोजगार व स्वावलंबी बनाने को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। सब्जियां उगाने के साथ कैदी बागवानी कर रहे हैं। उन्हें रोज हरी-ताजा सब्जियों से भरपूर भोजन सलाद संग मिल रहा है। कारागार प्रशासन सब्जी का खर्च निकालने में पूर्णत: सक्षम है। सब्जी उत्पादन में वृद्धि के लिए जेल प्रशासन प्रशिक्षण दिलाता है।

हरवर्ष 40 लाख से अधिक की सब्जी उत्पादित, चार क्विंटल रोज खपत

29 : एकड़ जमीन परिसर के अंदर व बाहर, इसी पर होती है खेती

1100 : क्विंटल से अधिक आलू का इस वर्ष हुआ है उत्पादन

500 : क्विंटल उपयोग के लिए रख शेष भेजा जाता अन्य जेलों में

20 : लाख मूल्य की अन्य सब्जी भेजी जाती मंडल की जिला जेलों में

400 : क्विंटल कटहल हर साल भेजा जाता आठ जिलों की जेलों में

1700 : बंदियों के लिए पर्याप्त होती हैं कारागार में उत्पादित सब्जियां

230 : ग्राम सब्जी की रोजाना खपत कारागार के एक कैदी पर

8000 : रुपये की मूल्य की सब्जी की रोज खपत बाजार मूल्य के अनुसार

15 : एकड़ में गर्मी के लिए हो रही गोभी, ब्रोकली, लौकी, पालक, तरोई व टमाटर समेत अन्य सब्जियों की खेती


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