शक्ति को पहचानें और स्वयं पर करें भरोसा, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में कार्यशाला का आयोजन
महिला व पुरुष एक ही सिक्के दो पहलू हैं। सृष्टि के संचालन में दोनों की भूमिका समान है। कुछ मामलों में तो महिलाओं की भूमिका पुरुषों से अधिक है। ऐसे में महिला-पुरुष के बीच ङ्क्षलग-भेद नहीं होना चाहिए। महिलाओं को सदैव सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
वाराणसी, जेएनएन। महिला व पुरुष एक ही सिक्के दो पहलू हैं। सृष्टि के संचालन में दोनों की भूमिका समान है। कुछ मामलों में तो महिलाओं की भूमिका पुरुषों से अधिक है। ऐसे में महिला-पुरुष के बीच ङ्क्षलग-भेद नहीं होना चाहिए। महिलाओं को सदैव सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। महिलाओं को भी अपनी शक्ति पहचाननी होगी। सशक्त होने के लिए स्वयं पर भरोसा बेहद जरूरी है।
विधि विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में रविवार को आयोजित 'वाराणसी मंडल के न्यायालयों में महिला अधिवक्ताओं की परिस्थिति का अध्ययन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का यही निष्कर्ष रहा। मुख्य अतिथि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (चंदौली) के पीठासीन अधिकारी राकेश कुमार ने कहा कि न्यायालयीय कार्यों में पहले सिर्फ पुरुष वर्ग का एकाधिकार था लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। हालांकि न्यायिक सेवाओं में अब भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
विशिष्ट अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुधा ङ्क्षसह ने कहा कि महिलाओं को स्वयं पर भरोसा करना होगा। अपने अधिकारों को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. टीएन सिह ने कहा कि महिलाओं को सशक्त होने के लिए अपने आत्मविश्वास में वृद्धि करनी होगी। वर्तमान समय में महिलाएं सशक्त तो हैं लेकिन अभी और जागरूकता की आवश्यकता हैं। स्वागत विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष प्रो. रंजन कुमार, संचालन आश्रया दुबे व धन्यवादज्ञापन डा. शिल्पी गुप्ता ने किया।