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आजमगढ़ में विद्यालय की मान्यता और विधायक निधि की धनराशि में मिली अनियमितता, होगी कार्रवाई

मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी के निर्देश पर हुई विद्यालय की जांच में विद्यालय को मान्यता देने में की गई कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 06:00 AM (IST)
आजमगढ़ में विद्यालय की मान्यता और विधायक निधि की धनराशि में मिली अनियमितता, होगी कार्रवाई
आजमगढ़ में विद्यालय की मान्यता और विधायक निधि की धनराशि में मिली अनियमितता, होगी कार्रवाई

आजमगढ़, जेएनएन। जिले में एक और चर्चित मामला विधायक निधि के दुरुपयोग का सामने आया है। मंडलायुक्त कनक त्रिपाठी के निर्देश पर हुई विद्यालय की जांच में विद्यालय को मान्यता देने में की गई कई गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इन अनियमितताओं को मंडलायुक्त ने गंभीरता से लिया है। सभी संलिप्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। गत दिवस तहसील मार्टीनगंज अंतर्गत ग्राम नर्वे निवासी एक व्यक्ति ने मंडलायुक्त को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया था। तथ्यों की जांच के संबंध में सीडीओ, संयुक्त शिक्षा निदेशक, एसडीएम सदर एवं तहसीलदार सदर की संयुक्त समिति गठित कर प्रकरण के संबंध में अपनी स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

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जांच समिति द्वारा उपलब्ध कराई गई संयुक्त आख्या में अवगत कराया गया कि रामनरेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बशीरपुर को वर्ष 2014-15 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक हरिश्चंद्र नाथ की संस्तुति पर दी गई है। जांच के समय मौके पर मात्र चार कक्ष बरामदा सहित बने हुए मिले। जबकि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की मान्यता के लिए 10 कक्ष, खेल का मैदान आदि होना आवश्यक है। यह भी पाया गया कि मान्यता के लिए बेलइसा कयामपुर की बिल्डिंग दिखाई गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिस समय विद्यालय की मान्यता दी गई है। उस समय उस गाटे पर कोई भी भवन नहीं था। मान्यता की अनुरक्षित पत्रावली में डीआरडीए के अवर अभियंता अशोक कुमार तिवारी द्वारा विद्यालय बने होने, पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था आदि होने का गलत ढंग से निर्गत प्रमाण पत्र भी लगा था। इसके लिए अवर अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।

मान्यता देने से पूर्व नियमानुसार जिला विद्यालय निरीक्षक, प्रधानाचार्य जीजीआइसी एवं एसडीएम सदर द्वारा स्थल का भ्रमण भूमि, स्वामित्व प्रमाणन, आख्या आदि संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित होना चाहिए था लेकिन कायदे कानून को सिरे से नजरअंदाज कर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक एवं उनके कार्यालय के पटल सहायक अवधेश सिंह ने कई अनियमितताएं करते हुए मिलीभगत से मान्यता के लिए यूपी बोर्ड को संस्तुति भेज दी है। इसके कारण पटल सहायक अवधेश सिंह को निलंबित करने और तत्कालीन डीआइओएस हरिश्चंद्र नाथ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए संस्तुति शासन को भेज दी गई है। 

कई के खिलाफ एफआइआर, कार्रवाई की संस्तुति भी

विद्यालय की मान्यता के लिए लेखपाल, राजस्व निरीक्षक एवं तत्कालीन तहसीलदार का जाली, फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कूटरचना करने और धोखाधड़ी करने के कारण तहसीलदार सदर द्वारा विद्यालय के प्रबंधक के विरुद्ध शहर कोतवाली में विभिन्न धाराओं के अंतर्गत एफआइआर भी दर्ज कराया गया है। प्रकरण संलिप्त पाए जाने पर डीआरडीए के सहायक अभियन्ता एनबी सिंह के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई की संबंधित विभाग को संस्तुति भेजी गई है। इसी प्रकार रामनरेश स्मारक पूर्व माध्यमिक विद्यालय कयामपुर बेलइसा को भी मान्यता दिए जाने के संबंध में तत्कालीन जिला बीएसएस, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी पल्हनी एवं उप बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रथम द्वारा विद्यालय प्रबंधक उग्रसेन सिंह से दुरभिसंधि कर भवन व भूमि का भू-स्वामित्व होने के साक्ष्य का बिना परीक्षण किए ही संस्तुति एवं मान्यता दिए जाने का दोषी मानते हुए सक्षम स्तर से इन तीनों के विरुद्ध भी कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की गई है।

डीआरडीए र्किमयों ने सही तरीके से नहीं किया परीक्षण  

विद्यालय को विधायक निधि से वर्ष 2015 में 5-5 लाख की कि चार किस्तों में कुल 20 लाख रुपये दिए जाने के संबंध में जांच रिपोर्ट में उल्लिखित किया गया है कि डीआरडीए के सहायक लेखाकार, लेखाकार द्वारा सही तरीके परीक्षण नहीं किया गया। बल्कि सदस्य विधान परिषद कैलाश यादव की अनुशंसा के 23 दिन पूर्व ही धनराशि अवमुक्ति के संबंध में पत्रावली तैयार कर तत्समय डीआरडीए में कार्यरत सहायक लेखाकार अशोक कुमार श्रीवास्तव एवं लेखकार शिव मोहन सिंह द्वारा विद्यालय के पक्ष में प्रथम किस्त अवमुक्त कर दी गई है। इसके सहायक लेखाकार को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही लेखाकार के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई किए जाने की निदेशक आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग को संस्तुति भेज दी गई है।


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