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भगवान शिव की विशेष कृपा का दिन 'रवि प्रदोष व्रत', जानिए वर्ष भर की प्रमुख प्रदोष व्रत की तिथियां

मस्तिष्क पर तिलक लगाकर शिव की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदाई मानी गई है। शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त करने के लिए स्कंद पुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए प्रदोष व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए समान रूप से पुण्य फलदाई मानी गई हैं।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 02:04 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 02:04 PM (IST)
भगवान शिव की विशेष कृपा का दिन 'रवि प्रदोष व्रत', जानिए वर्ष भर की प्रमुख प्रदोष व्रत की तिथियां
मस्तिष्क पर तिलक लगाकर शिव की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदाई मानी गई है।

वाराणसी, जेएनएन। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार प्रदोष व्रत का अलग अलग महत्व है जैसे रवि प्रदोष आयु, आरोग्य, सुख समृद्धि के लिए, सोम प्रदोष शांति एवं रक्षा के लिए, भौम प्रदोष कर्ज से मुक्ति के लिए, बुध प्रदोष मनोकामना की पूर्ति के लिए, गुरु प्रदोष विजय एवं लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, शुक्र प्रदोष आरोग्य के लिए सौभाग्य के लिए मनोकामना की पूर्ति के लिए, वहींं शनि प्रदोष पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

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अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथिओं का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने का विधान माना गया है। इस दिन व्रत कर्ता को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान पूजा अर्चना के पश्चात दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध, कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर निराहार रहकर शाम को स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान पूर्वक पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र यज्ञोपवित आभूषण सुगंधित द्रव्य के साथ बेलपत्र धतूरा पुष्प अर्पित करके धूप दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

मस्तिष्क पर तिलक लगाकर शिव की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदाई मानी गई है। शिव की विशेष अनुकंपा प्राप्त करने के लिए स्कंद पुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए प्रदोष व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए समान रूप से पुण्य फलदाई मानी गई हैं। भक्ति श्रद्धा भाव से किए गए प्रदोष व्रत से जीवन में सुख सौभाग्य के साथ ही भोलेनाथ की कृपा से जीवन में उन्नति के मार्ग का संयोग बनता है। प्रदोष व्रत का आरंभ किसी भी शुक्ल पक्ष के शनि प्रदोष अथवा सोम प्रदोष व्रत से करना चाहिए।

वर्ष 2021 में पड़ने वाले समस्त प्रदोष व्रत

10 जनवरी रविवार, 26 जनवरी मंगलवार, 9 फरवरी मंगलवार, 24 फरवरी बुधवार, 10 मार्च बुधवार, 26 मार्च शुक्रवार, 9 अप्रैल शुक्रवार, 24 अप्रैल शनिवार, 8 मई शनिवार, 24 मई सोमवार, 7 जून सोमवार, 22 जून मंगलवार, 7 जुलाई बुधवार, 21 जुलाई बुधवार, 5 अगस्त गुरुवार, 20 अगस्त शुक्रवार, 4 सितंबर शनिवार, 18 सितंबर शनिवार, 4 अक्टूबर सोमवार, 17 अक्टूबर रविवार, 2 नवंबर मंगलवार, 16 नवंबर मंगलवार और साल का आखिरी 31 दिसंबर शुक्रवार को पड़ रहा है।


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