विजयदशमी ; शिव की नगरी काशी में मारा गया रावण, मेघनाथ व कुंभकरण, श्रीराम की जयकार
शिव की नगरी काशी में मंगलवार को राम की जय-जय होती रही और एक बार फिर रावण मारा गया। पर्व पर शहर व ग्रामीण अंचलों में कई स्थानों पर आयोजित मेले में भारी भीड़ देखी गई।
वाराणसी, जेएनएन। शिव की नगरी काशी में मंगलवार को राम की जय-जय होती रही और एक बार फिर रावण मारा गया। असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक पर्व विजयदशमी (दशहरा) श्रद्धा व उल्लासपूर्वक मनाया गया। डीरेका सहित कई स्थानों पर जहां रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के वध के पश्चात उनके पुतलों का दहन किया गया। भगवान श्रीराम के 'जयकारे' लगे। विविध स्थानों पर भक्ति संगीत की अनुगूंज रही। पर्व पर शहर व ग्रामीण अंचलों में कई स्थानों पर आयोजित मेले में भारी भीड़ देखी गई।
नयनाभिराम झांकियों का आकर्षण
परंपरानुसार विजयदशमी पर कई स्थानों पर मेले का आयोजन किया गया। मेले में राम, लक्ष्मण, हनुमान सहित देवी-देवताओं की आकर्षक झांकियां निकाली गई। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानते हुए रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के विशालकाय पुतलों को दहन किया गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने अत्याचारी व दुष्ट लंकाधिपति रावण का वध कर उसके अत्याचारों से समाज को मुक्ति दिलाई थी। तभी से विजयदशमी पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाने की परंपरा चली आ रही है।
जनपद में कई जगहों पर विजयादशमी का मेला धूमधाम से संपन्न हुआ। लोगों ने मेले का आनंद उठाया। मेला क्षेत्र में बिजली के झालरों से सजावट की गई थी। रावण वध के बाद जब पुतले में आग लगाई गई तो लोगों ने प्रभु श्रीराम के जयकारे लगाए। आतिशबाजी भी की गई।विजयादशमी पर विभिन्न स्थानों पर मेला क्षेत्र में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे।