Lockdown in Varanasi ट्रेन की बोगियों में रैट ट्रैप लगाकर चूहों को पकड़ा जा रहा
इन दिनों फैले कोरोना संक्रमण लेकर गंभीर रेलवे प्रशासन ने चूहों को पकडऩे पर ज्यादा जोर दिया है। वाराणसी में ट्रेन की बोगियों में रैट ट्रैप लगाकर चूहों को पकड़ा जा रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। चूहों की धमाचौकड़ी से हर साल रेलवे को दस लाख रुपये की चपत लगती है। इनसे रेलवे की पटरियों में होने वाले बड़े- बड़े सुरंग हादसों को दावत देते हैं। ट्रेन की बोगियों में भी इनके आतंक का आलम ये है कि हर्जाने के तौर पर हर साल रेल यात्रियों को लाखों रुपये भुगतान किया जाता है।
इन दिनों फैले कोरोना संक्रमण लेकर गंभीर रेलवे प्रशासन ने चूहों को पकडऩे पर ज्यादा जोर दिया है। ट्रेन की बोगियों में रैट ट्रैप लगाकर चूहों को पकड़ा जा रहा है। वहीं कैंट स्टेशन पर पेस्ट कंट्रोल का काम करने वाली कार्यदायी संस्था के कर्मचारी लॉक डाउन में उभर आए सुरंगों को बंद कर रहे हैं। एक औसत आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल कैंट स्टेशन, मंडुआडीह और वाराणसी सिटी स्टेशन से 12 सौ चूहे पकड़े जाते हैं। कैंट स्टेशन के निदेशक आनन्द मोहन सिंह के अनुसार चूहों को पकडऩे की जिम्मेदारी पेस्ट कंट्रोल करने वाली एजेंसी के जिम्मे है। कोविड-19 के मद्देनजर चूहों को पकडऩे पर जोर दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल की ओर से भी वक्त-वक्त पर अभियान चलाया जाता रहा है। स्वच्छता मिशन के तहत स्टेशनों से चूहों की धर-पकड़ हो रही है।