वाराणसी, जागरण संवाददाता : रथयात्रा की लोकपरंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ अस्वस्थता के कारण पख्वारे भर बाद विश्राम कर मन- मिजाज ठीक करने के लिए मनफेर की नीयत से गुरुवार को रथारूढ़ होकर घूमने निकल गए। उनके साथ में उनके बड़े भाई बलभद्र व छोटी बहन सुभद्रा भी चल पड़े। वे अपने मौसी के घर पहुंच गए और वहीं तीन दिन विश्राम कर पुनः जगन्नाथपुरी लौट आएंगे।
इस लोक परंपरा की अदायगी का स्वरूप असि स्थित जगन्नाथ मन्दिर से रथयात्रा स्थित बेनीराम के बागीचे तक बखूबी दिखाई दिया। भक्तों के जयकारे व आरती- मंगल डमरू वादन के बीच प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के विग्रहों को डोली में विराजमान कराया गया। भक्तों ने डोली को कंधे पर लाद कर फूलों की वर्षा के बीच गंतव्य स्थान बेनीराम के बागीचे तक पहुंचाया। डोली यात्रा अपने निर्धारित मार्ग असि चौराहा, नबाबगंज, कश्मीरीगंज, खोजवां, शंकुलधारा, बैजनत्था मंदिर होते पहुंची थी।
इस दौरान राममंदिर कश्मीरीगंज व द्वारिकाधीश मंदिर शंकुलधारा पर प्रतीक्षारत भक्तों ने फूलों की वर्षा व आरती के माध्यम से डोली में।विराजमान विग्रहों की आगवानी की। आगे-आगे जगन्नाथ प्रभु की पीत पताका लहराते हुए चल रही थी तो डमरू वादक दल और ढोल-नगाड़े की अनुगूंज धार्मिक माहौल का सृजन करते चल रही थी।।साथ चलने वाले श्रद्धालु जगन्नाथ प्रभु का जयकारा लगा रहे थे। बेनीराम के बगीचे में शापुरी परिवार के दीपक शापुरी, आलोक शापुरी ने डोली का स्वागत प्रभु की आरती करके किया।
एक जुलाई की भोर में तीन बजे तीनों विग्रहों को रथ पर आरूढ़ कराया जाएगा
शाम को रथयात्रा स्थित यूनियन बैंक के सामने खड़े अष्टकोणीय रथ की भव्य आरती की गई। इसके बाद भक्तों ने विग्रह विहीन रथ को खींचकर निराला निवेश तक पहुंचाया। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ मंदिर के सचिव आलोक शापुरी के अनुसार एक जुलाई की भोर में तीन बजे तीनों विग्रहों को रथ पर आरूढ़ कराया जाएगा और आरती के बाद विग्रहों का दर्शन शुरू हो जाएगा।
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