दुर्लभ पांडुलिपि प्रकाशन घोटाला पूर्व कुलपतियों और वित्त अधिकारियों के बयान पर टिकी जांच
संस्कृत विवि में प्रकाशन घोटाला प्रकरण में आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू की जांच-पड़ताल दो पूर्व कुलपतियों और चार पूर्व वित्त अधिकारियों के बयान पर टिक गई है। उसने संपूर्णानंद संस्कृत विवि से जुड़े 21 लोगों को नोटिस दिया है।
वाराणसी, जेएनएन। प्रकाशन घोटाला प्रकरण में आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू की जांच-पड़ताल दो पूर्व कुलपतियों और चार पूर्व वित्त अधिकारियों के बयान पर टिक गई है। उसने संपूर्णानंद संस्कृत विवि से जुड़े 21 लोगों को नोटिस दिया है। इनमें दो पूर्व कुलपति, चार पूर्व वित्त अधिकारी, दो पूर्व और 13 वर्तमान कर्मचारी शामिल हैं। इसमें एक को छोड़ कर 12 कर्मियों का बयान दर्ज हो चुका है। जिसमें उन्होंने प्रकाशन घोटाले से कोई भी संबंध होने की बात खारिज की है। समय सीमा बीतने के बाद भी ईओडब्ल्यू को शेष लोगों के बयान दर्ज कराने का इंतजार है।
बिना प्रकाशन साढ़े छह करोड़ रुपये से ज्यादा का किया गया था भुगतान
शासन ने दुर्लभ पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए विश्वविद्यालय को वर्ष 2001 से 2010 के बीच दस करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये अनुदान दिया था। आरोप है कि बगैर ग्रंथ प्रकाशन के फर्जी तरीके से छह करोड़ 53 लाख 23 हजार 763 रुपये का भुगतान मुद्रकों को हुआ। तत्कालीन कुलपति प्रो. वी. कुटुंब शास्त्री के हस्ताक्षर वाली फर्जी मुहर का इस्तेमाल किया गया।
कर्मियों ने तत्कालीन लेखा अधीक्षक को ठहराया जिम्मेदार
बिना कुलपति के हस्ताक्षर के ही करोड़ों रुपये के भुगतान को लेकर ईओडब्ल्यू् की नोटिस पर जवाब देने पहुंचे लेखा विभाग के कर्मचारियों का बयान पूर्व के अधिकारी पर भारी पड़ सकता है। अपने बयान में कर्मियों ने इसके लिए सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन लेखा अधीक्षक को ही जिम्मेदार ठहराया है। इसे देखते हुए ईओडब्ल्यू ने पूर्व लेखा अधीक्षक को नोटिस दिया है।
बोले जांच अधिकारी
पूर्व कुलपतियों व पूर्व वित्त अधिकारियों का बयान महत्वपूर्ण है। इसके लिए उनके आवास के पते पर नोटिस भेजा है। जिसमें दिया एक सप्ताह का समय बीत चुका है। फिर भी बयान के लिए इंतजार कर रहे हैं। - विश्वजीत प्रताप ङ्क्षसह, इंस्पेक्टर, ईओडब्ल्यू्।