जन्मस्थल भदैनी में पुष्पांजलि देकर रानी लक्ष्मीबाई की मनाई गई 183 वीं जयंती
वाराणसी में जागृति फाउंडेशन के तत्वाधान में सोमवार को वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 183 वीं जयंती काशी में भदैनी स्थित उनकी जन्मस्थली पर मनाई गई।
वाराणसी, जेएनएन। जागृति फाउंडेशन के तत्वाधान में सोमवार को वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 183 वीं जयंती भदैनी स्थित उनकी जन्मस्थली पर मनाई गई। जयंती समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र व विशिष्ट अतिथि डाक्टर जीसी तिवारी ने महारानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा कि महारानी लक्ष्मीबाई ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी। उन्होंने मरते दम तक अंग्रेजों से लोहा लेते हुए उनको अपने शरीर को छूने तक नहीं दिया। आज हम उनकी जयंती पर उन्हें शत शत नमन करते हैं। इस अवसर पर डॉक्टर जेसी तिवारी ने कहा कि काशी की बेटी महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने वीरगाथा से केवल काशी ही नहीं झांसी सहित पूरे विश्व में देश का गौरव बढ़ाया और यह संदेश दिया की महिलाएं किसी मामले में पुरूषों से कम नहीं।
इस अवसर पर साहित्यकार डॉक्टर जयप्रकाश मिश्र व शिव शंकर तिवारी ने वीर रस की कविता पढ़कर महारानी को अपनी श्रद्धांजलि दी। अध्यक्षता करते हुए मदर फॉर मदर की संस्थापिका आभा मिश्रा ने कहा कि हमें गर्व है कि वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई हमारे भदैनी की बेटी थी और उन्होंने अपनी वीरगाथा से अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए हम उन्हें शत शत नमन करते हैं। जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने प्रधानमंत्री मोदी और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से अपील करते हुए यह मांग किया कि वाराणसी से चलने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस जो रानी लक्ष्मी बाई के शहीद स्थल ग्वालियर तक जाती है उसका नाम वीरांगना एक्सप्रेस रखने की मांग की।
पार्षद गोविंद शर्मा, प्रगतिशील समाज पार्टी के सतीश यादव, बीएचयू के पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह आदि ने भी संबोधित किया इस अवसर पर नंदलाल बाजोरिया शिक्षा निकेतन के छात्र-छात्राओं द्वारा देश भक्ति पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। संयोजन एवं संचालन जागृति फाउंडेशन के महासचिव रमेश मिश्र ने किया।