कई जिलों में चेन स्नेचिंग की घटनाओं को अंजाम दे रहे बदमाश, वाराणसी पुलिस मौन
वाराणसी में लगातार हो रही चेन स्नेचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थों को आए दिन सतर्क रहने और चौकस रहने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देते रहते हैं लेकिन पुलिस दो दिन तक सक्रिय रहने के बाद फिर से शांत हो गई है।
वाराणसी, जेएनएन। शहर में अपराध के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। लगातार हो रही चेन स्नेचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए उच्चाधिकारी अपने अधीनस्थों को आए दिन सतर्क रहने और चौकस रहने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देते रहते हैं, लेकिन पुलिस दो दिन तक सक्रिय रहने के बाद फिर से शांत हो गई है। लुटेरे बैखौफ होकर तमंचे के बल पर वारदातों को अंजाम देने में लगे हैं। घटना को अंजाम देने वाले लुटेरों का सीसीटीवी फुटेज से शिनाख्त होने के बावजूद पुलिसकर्मी उनको पकडऩे में नाकाम साबित हो रहे हैं। बड़ी बात यह है कि अपराधी कई जिलों में चेन स्नेचिंग कर रहे हैं, क्योंकि फुटेज में दिख रहे आरोपित जौनपुर व केराकत में भी जारी फुटेज में दिख रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बदमाश दूसरे जिलों से आए हुए हैं।
शहर में आए दिन होने वाली चोरी और लूट की घटनाओं ने पुलिसिंग की पोल खोलकर रख दिया। थानों की पुलिस की कलई इससे खुलती है कि आधी आबादी अपने ही जेवरात पहनकर शहर में सुरक्षित नहीं है। महिला उत्पीडऩ के मामलों में प्रभावी कार्रवाई का राग अलापने वाली खाकी शहर में सक्रिय झपटमारों को पकडऩे के नाम पर खाली हाथ है। आए दिन घटनाएं हो रही हैं, जिनमें कोई रिकार्ड में दर्ज की जाती है, जबकि किसी पीडि़त को यह कहकर टाल दिया जाता है कि जब झपटमार पकड़ेंगे तभी मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा। तहरीर थानेदारों की टेबिल पर कुछ देर टिकती है और बाद में कचरे के डिब्बे में उसे फेंक दिया जाता है। चूंकि जिस तरह से दूसरे जिलों से भी जारी सीसीटीवी फुटेज में वही आरोपित सामने आए हैं, इससे यह तय हो गया है कि दूसरे जिलों के गैंग भी शहर में सक्रिय है। हालांकि एसएसपी अमित पाठक ने फुटेज जारी करने के बाद आरोपितों पर इनाम भी घोषित कर दिया, लेकिन अब तक उनकी गिरफ्तारी न होना सवालों के घेरे में है।
पुलिस का मुखबिर तंत्र ध्वस्त
पुलिस का मुखबिर तंत्र ध्वस्त हो चुका है। इससे पुलिस को न तो वारदात की पूर्व सूचना मिलती है और न ही वारदात के बाद बदमाशों का सुराग लग पाता है। सिपाही से लेकर आला अधिकारियों का अपना-अपना मुखबिर तंत्र होता था। लेकिन, जिले में चेन स्नेचरों को पकडऩे में जिस तरह थानों की पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए हैं, उससे लगता है कि अब वह मुखबिर पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं मुखबिरों की आर्थिक मदद के लिए पुलिस को फंड मिलता है। जानकारों की मानें तो कई थानों द्वारा फंड लिया ही नहीं जाता और जो लेते हैं फंड की राशि से अपनी जेबें गर्म करते हैं।
पल्सर व अपाचे से करते हैं शिकार
हाल में चेन स्नेचिंग की अधिकतर घटनाओं में एक बात सामने आई है कि बदमाश पल्सर व अपाचे का उपयोग करते हैं। इसी कारण पुलिस ने दो दिन तक सड़कों पर सघन अभियान भी चलाया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। सूत्रों का कहना है कि बदमाश घटना को अंजाम देने के बाद दूसरे जिले में चले जाते हैं। कुछ दिनों तक बाहर रहने के बाद दोबारा शहर में लौटकर अपराध करते है। इससे पहले भी पकड़ा गया गैंग का लीडर शामली से था। वे भी कई जिलों में घटना को अंजाम दे रहे थे।
चेन स्नेचरों को पकडऩे के लिए सभी थानों को चेकिंग के लिए बोला गया
चेन स्नेचरों को पकडऩे के लिए सभी थानों को चेकिंग के लिए बोला गया है। अभियान चलाकर बदमाशों को पकडऩे के लिए टीम लगी हुई है। कुछ बदमाशों के सीसीटीवी फुटेज भी जारी कर सूचना देने वालों के लिए नंबर भी जारी किया गया है।
- अमित पाठक, एसएसपी