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दुनिया की अनूठी लीला का आरंभ, श्रीराम को चुनौती देने जन्‍मा दशानन रावण

रंग कर्म के बजाय परंपराओं की थाती संभाले अध्यात्म-धर्म से सराबोर अनुष्ठान रामनगर की रामलीला का पर्दा उठते ही संपूर्ण विधि-विधान के साथ श्रीगणेश हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 09:42 PM (IST)
दुनिया की अनूठी लीला का आरंभ, श्रीराम को चुनौती देने जन्‍मा दशानन रावण
दुनिया की अनूठी लीला का आरंभ, श्रीराम को चुनौती देने जन्‍मा दशानन रावण

वाराणसी, (रामनगर) । रंग कर्म के बजाय परंपराओं की थाती संभाले अध्यात्म-धर्म से सराबोर अनुष्ठान रामनगर की रामलीला का अनंत चतुर्दशी पर रविवार को पर्दा उठने के साथ ही संपूर्ण विधि-विधान संग श्रीगणेश हो गया। इसके साथ शिव नगरी काशी में प्रभु श्रीराम को समर्पित उपनगर रामनगर की हर डगर पर त्रेता उतर आया। गृहस्थजन हों या संतगण सभी ने समभाव से इस भक्ति गंगा में गोते लगाए और पर्व उत्सवों के रसिया शहर बनारस की सांस्कृतिक समृद्धि की सतरंगी छटा को पंख लग गए। श्रद्धा के अनगिन भावों से सजा रामबाग आस्था के क्षीर सागर में तब्दील हुआ और इसमें शेष शैय्या पर विराजमान श्रीहरि ने दर्शन देकर भाव विभोर किया। 

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रावण जन्‍म से प्रसंग शुरू

दुनिया की अनूठी लीला का आरंभ रावण जन्म प्रसंग से हुआ और उसने भाइयों के साथ घोर जप-तप किया। भगवान ब्रह्म से अभय का वरदान पाने के अहंकार में उसने देव शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए स्वर्ण महल पर आक्रमण तो किया ही ऋषियों- मुनियों के यज्ञ-हवन में विघ्न व्यवधान का सिलसिला शुरू किया। रावण पुत्र मेघनाद  इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए देवराज इंद्र को पकड़ ले आया और इंद्रजीत अलंकरण पाया। अति तो तब हुई जब रावण ने राज्य में वेद-पुराण और श्राद्ध-हवन आदि तक पर रोक लगा दी। भयभीत देवों-ऋषियों ने इंद्र की सलाह पर वैकुंठ धाम जाकर श्रीहरि की स्तुति में मंत्रों को स्वर दिए। इसके साथ ही श्वेत-रक्त वर्ण महताबी को रोशनी से नहाए रामबाग पोखरे ने श्रद्धा के क्षीरसागर का रूप ले लिया और शेष शैय्या पर लेटे श्रीहरि की दिव्य झांकी निखर उठी। उनके चरण दबातीं भगवती लक्ष्मी व नाभि से निकले कमल पुष्प पर आसीन ब्रह्मïा की मनोहारी झांकी निरख निहाल श्रद्धालुओं ने लीला क्षेत्र जयकार गूंजा दिया। 

लीला स्थल पहुंचे पंच स्वरूप 

इससे पहले दोपहर दो बजे पंच स्वरूपों का व्यासगणों की निगरानी में साज शृंगार किया गया। विधि-विधान से मुकुट पूजन कर धारण कराया गया। चार बजे उन्हें कंधे पर बैठा कर दुर्ग पहुंचाया गया। रस्म पूरी कर बैलगाड़ी से उन्हें लीला स्थल ले जाया गया। इसके साथ लीला स्थल जयघोष से गूंज उठा। 

 

बग्घी पर निकली शाही सवारी

शाम लगभग पांच बजे दुर्ग से काशी नरेश महाराजा अनंत नारायण सिंह की बाघंबरी बग्घी पर शाही सवारी निकली। सबसे आगे रामनगर पुलिस की जीप और उसके पीछे बनारस स्टेट का ध्वज लिए घुड़सवार चल रहे थे। दुर्ग से बाहर आते ही इंतजार में खड़े अपार जनसमुदाय ने हरहर महादेव के उद्घोष से अगवानी की। लीला स्थल पर 36 वीं वाहिनी पीएसी की टुकड़ी ने हाथी पर सवार महाराज को सलामी दी। इसके साथ लीला शुरू हुई। 


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