Move to Jagran APP

रामनगर की रामलीला का 25वां दिन : राम-रावण युद्ध की भयावहता से देवगण चिंतित होकर कंदराओं में छिपे

राम-रावण के बीच भयंकर युद्ध देख देवतागण भयभीत हो गए। श्रीराम के विजय की आस छोड़ देवता गुफाओं मे छिपने की बात सोचते हैैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 09:59 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 09:59 AM (IST)
रामनगर की रामलीला का 25वां दिन : राम-रावण युद्ध की भयावहता से  देवगण चिंतित होकर कंदराओं में छिपे
रामनगर की रामलीला का 25वां दिन : राम-रावण युद्ध की भयावहता से देवगण चिंतित होकर कंदराओं में छिपे

वाराणसी, जेएनएन। राम-रावण के बीच भयंकर युद्ध देख देवतागण भयभीत हो गए। श्रीराम के विजय की आस छोड़ देवता गुफाओं मे छिपने की बात सोचते हैैं। देवताओं के भागने पर लंकाराज रावण उन्हें ललकारता है और लौटने को कहता है।

loksabha election banner

रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला में 25वें दिन रविवार को राम-रावण युद्ध व रणभूमि अवलोकन लीला का मंचन किया गया। प्रसंगानुसार रावण द्वारा यज्ञ की जानकारी देते हुए विभीषण श्रीराम से वानर सेना भेज कर यज्ञ विध्वंस कराने की बात कहते हैं। श्रीराम की आज्ञा पर अंगद-हनुमान आदि लंका जाकर रावण को ललकारते हुए राक्षसों का वध करते हैं। राक्षस सेना के मारे जाने पर राक्षस रावण की दुहाई देते हुए यज्ञ स्थल पर आते हैं। उनके शोर से रावण का यज्ञ भंग हो जाता है। युद्ध का डंका बजने पर दोनों ओर की सेनाएं फिर आमने-सामने आकर डंट जाती हैं। देवतागण शीघ्र उसका वध करने की प्रार्थना करते हैं। रण भूमि में रावण अनेक प्रकार से मायावी युद्ध करता है लेकिन श्रीराम उसके बाणों को काट देते हैं और पुन: रावण को युद्ध के लिए ललकारते हैैं। प्रभु श्रीराम से रावण कहता है कि युद्ध में तुमसे अपने पुत्रों और भाईयों के वध का बदला लूंगा।

श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध शुरू होता है। श्रीराम के बाण से रावण का सिर बार-बार कटता है लेकिन पुन: जीवित हो उठता है। वह बाणों की वर्षा कर श्रीराम के रथ को ढक देता है। इस बीच विभीषण रावण की छाती पर गदा से प्रहार करते हैं जिससे वह जमीन पर गिर पड़ता है। सारथी से 15 हजार सेना मारे जाने का समाचार सुन वह हनुमान से भयंकर युद्ध करता है। जामवंत की मार से बेहोश हुए रावण को सारथी महल ले आता है। राक्षसी त्रिजटा सीता को युद्ध की जानकारी देती है। सीता विरह से दुखी हैैं तभी सगुन के कई लक्षण दिखाई पडऩे पर सीता को रावण वध की संभावना से संतोष होता है। यहीं पर आरती के बाद लीला को विश्राम दिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.