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परंपराओं की थाती संभाले दुनिया के अनूठे रंगमंच का क्षीर सागर की झांकी से उठेगा पर्दा Varanasi news

रामनगर में पूरी काशी ही नहीं बल्कि‍ विश्‍व भर के कोने-कोने से आने वाले आस्‍थावानों और लीला प्रेमियों का केंद्र बिंदु होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 02:08 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 05:52 PM (IST)
परंपराओं की थाती संभाले दुनिया के अनूठे रंगमंच का क्षीर सागर की झांकी से उठेगा पर्दा Varanasi news
परंपराओं की थाती संभाले दुनिया के अनूठे रंगमंच का क्षीर सागर की झांकी से उठेगा पर्दा Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। शाम होते ही रामनगर में पूरी काशी ही नहीं बल्कि‍ विश्‍व भर के कोने-कोने से आने वाले आस्‍थावानों और लीला प्रेमियों का केंद्र बिंदु होगा। इससे पूर्व धर्म- अध्यात्म, श्रद्धा-भक्ति के साथ फक्कड़ मस्ती के विश्व प्रसिद्ध अनुष्ठान रामनगर की रामलीला निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए बुधवार को इंद्रदेव की पूजा-आराधना की गई। सुबह सवेरे पूजन-अर्चन कर दुर्ग के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से की बुर्जी पर श्वेत ध्वज फहराया गया। रामलीला अनंत चतुर्दशी पर गुरुवार को शुरू हो रही है।

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ठीक शाम पांच बजे रामबाग लीला स्थल में रावण जन्म व प्रभु श्रीराम के अवतार की भविष्यवाणी के साथ दुनिया के अनूठे रंगमंच का पर्दा उठ जाएगा। बाग स्थित पोखरा क्षीर सागर का रूतबा पाएगा और शेष शैय्या पर लेटे श्रीहरि की झांकी निखर जाएगी। इसके लिए देश-विदेश से लीला प्रेमियों के जत्थे दोपहर से ही उमड़ पड़े। साधु-संन्यासियों ने मठ-मंदिरों में डेरा डाल दिया तो ख्यात न्यूरोलाजिस्ट प्रो. वीएन मिश्र, लखनलाल जौहरी, अधिवक्ता सुरेश मिश्र व योगेंद्र पाठक, अभियंता अनिल त्रिपाठी, कस्तूरी यादव, डा. निरंजन श्रीवास्तव समेत नेमियों को गुरुवार की शाम का इंतजार रहा। हालांकि रामलीला के दौरान निकलने वाली शाही सवारी के लिए बग्घी तैयार न होने से रिहर्सल नहीं किया जा सका। इसकी प्रतीक्षा में लोगों की नजरें दुर्ग द्वार की ओर टिकी रहीं।  

दोहा चौपाई गायन को विराम  

रामलीला के क्रम में भाद्र शुक्ल चतुर्थी पर द्वितीय गणेश पूजन से रामलीला पक्की पर चल रहे बालकांड के 175 दोहे -चौपाइयों का बुधवार शाम गायन पूरा कर लिया गया। दस दिनों से चल रहे इस अनुष्ठान में रामायणी दल ने उन प्रसंगों का गायन किया जिनका लीला में मंचन नहीं किया जाता है। इसमें अंतिम दिन रामायणी दल ने राजा भानुप्रताप की ओर से निष्कंटक राज्य की कामना से यज्ञ और उसे विध्वंस करने के लिए राक्षसों द्वारा राजपुरोहित व रसोइये का अपहरण कर उनका रूप धारण ब्राह्मणों को भोजन के रूप में मांस परोसने के प्रसंग को स्वर दिया। इसमें आकाशवाणी से उन्हें भोजन नं करने को कहा जाता है। ब्राह्मण क्रोधित होकर भानुप्रताप को राक्षस योनि में जन्म लेने का शाप देते हैं और राजा भानुप्रताप राक्षसराज रावण के रूप में जन्म लेते हैं। 

पुतला निर्माण और पंच स्वरूपों का प्रशिक्षण पूरा 

रामलीला का आरंभ क्षीर सागर की झांकी से होगा। इसके लिए पुतलों का निर्माम के साथ ही रामबाग में बुधवार को सफाई व रंग-रोगन व विद्युत व्यवस्था पूरी कर ली गई। साथ ही रामलीला के पंच स्वरूप का प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया गया। 

आज की रामलीला

रामनगर व जाल्हूपुर : रावण जन्म, दिग्विजय, क्षीर सागर की झांकी, देव स्तुति, आकाशवाणी। 

शिवपुर : नारद मोह, देव स्तुति, आकाशवाणी, क्षीर सागर की झांकी।


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