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राम नाईक ने दी सोचवीर नहीं कृतिवीर बनने की सलाह

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि सभी को सोचवीर की बजाए कृतिवीर बनना चाहिए।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2016 11:21 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2016 11:53 PM (IST)
राम नाईक ने दी सोचवीर नहीं कृतिवीर बनने की सलाह

वाराणसी (जेएनएन)। बच्चों के बीच सांगीतिक आयोजन, स्पिक मैके की विरासत श्रंखला, रोनू मजूमदार की वंशी की तान, क्रांति दिवस की पूर्व संध्या, वाराणसी महापौर द्वारा अभिनंदित एवं विविध आयोजनों में शामिल होकर अभिभूत राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जब राम सेतु बन रहा था तो एक गिलहरी भी श्रमदान कर रही थी। यह देख श्रीराम ने उसका अभिनंदन किया क्योंकि वह किनारे बैठ कर सोचने की बजाए पूरी ताकत से कृति में जुट गई थी। देशवासियों को भी इस कथा से प्रेरणा लेनी चाहिए। सभी को सोचवीर की बजाए कृतिवीर बनना चाहिए।

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महापौर रामगोपाल मोहले की ओर से राज्यपाल पद पर दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने व क्रांति दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित अभिनंदन समारोह में 'राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम और आज की चुनौतियां ' विषयक संगोष्ठी भी हुई। संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि देश में राजनीति से उपर उठकर समाज के बारे में लोगों को सोचना चाहिए। मतदान के वक्त भी जनता को योग्य उम्मीदवार का चयन करना चाहिए। इससे जनतंत्र मजबूत होगा। कहा कि वर्ष 1978 से मुंबई के बोरीवली विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक बना। वर्ष 1989 से पांच बार सांसद चुना गया। वर्तमान में उप्र का राज्यपाल हूं। कहा कि जवाबदेही तय की, प्रति वर्ष रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित किया। वर्ष 1978 से चल रहा यह क्रम आज भी कायम है। विधायक था तो विधानसभा में राम नाईक, लोकसभा में था तो लोकसभा में राम नाईक और अब राज्यपाल हूं तो राजभवन में राम नाईक शीर्षक से रिपोर्ट कार्ड प्रकाशित कराया। जब कुछ नहीं था तब जनसभा में राम नाईक नामक रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। राज्यपाल ने कहा कि आजादी में सभी का योगदान है। आजादी मिले 70 साल गुजर गए। विचार करना होगा कि अब तक कितना स्वराज मिला। इस दिशा में कौन सी चुनौतियां हैं। कहा, हालात विषम हैं। पुलिस की नाक के नीचे एटीएम में रखे रुपये गायब हो जाते हैं।

मुस्कुराइए, हौसला बढ़ाइए : राज्यपाल

राज्यपाल ने सनबीम वरुणा में स्पिक मैके की विरासत श्रंखला-2016 का उद्घाटन किया। बच्चों के बीच सांगीतिक आयोजन के शुभारंभ के मौके को उन्होंने संस्कारशाला का रूप भी दे दिया। भारतीय संस्कृति व योग-संगीत को उन्होंने जोड़ते हुए इसकी जीवन में महत्ता बताई। बच्चों को पढ़ाई के साथ ही व्यक्तित्व विकास के लिए प्रयासरत रहने का चार सूत्रीय सुझाव भी दिया। कहा इसके लिए जरूरी है कि मुस्कुराइए, छोटों और बड़ों का भी हौसला बढ़ाइए, किसी की अवमानना न करें और निरंतर अच्छे से अच्छा करते जाइए। बनारस व संगीत के संबंधों का हवाला देते हुए इसके संरक्षण-संवर्धन का आह्वान किया। स्पिक मैके के चीफ एडवाइजर एसपी सिंह ने विरासत श्रृंखला पर प्रकाश डाला।

रोनू की बांसुरी व कविता के भाव

स्पिक मैके वाराणसी चैप्टर की विरासत श्रृंखला की पहली प्रस्तुति में पं. रोनू मजूमदार ने वंशी की तान ने संगीत रसिकों को विभोर किया तो कविता द्विवेदी ने ओडिसी के भावों से पोर-पोर झंकृत किया। रोनू मजूमदार ने राग गोरख कल्याण में तान छेड़ी और अलाप जोड़ के साथ ही बंदिशों से झूमने पर विवश किया। बादलों की गरज बरस के बीच उन्होंने प्रस्तुतियों का रूख मोड़ा और मौसम के मिजाज अनुरुप प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने रूपक ताल, तीन ताल व पहाड़ी भी धुन बजाई। तबले पर सुधीर पांडेय व बांसुरी पर कल्पेश ने साथ दिया। कविता द्विवेदी ने ओडिसी में शिव पंचाक्षरी को सजाया। पल्लवी में नृत्य की इस खास विधा की बारीकियों को दिखाया। मंदिर की मूर्तियों में उकेरे गए शिल्प व सौंदर्य का दर्शन कराते हुए ओडिसी के शास्त्रीय पक्षों को विस्तार से समझाया। राग सावेरी में निबद्ध प्रस्तुति में भाव नृत्य के जरिए अभिनय पक्ष पक्ष पर भी जोर दिया। मर्दल पर मानस कुमार, गायन में सुरेश सेठी, वायलिन पर प्रदीप महाराणा, सितार पर जीवन प्रकाश दास ने संगत किया।


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