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Raksha Bandhan Muhurta 2022 : गुरुवार रात 8.30 बजे से लेकर 12 अगस्‍त को पूरे दिन रक्षा बंधन का योग

Raksha Bandhan Muhurta 2022 पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 9.35 बजे लग रही है जो 12 अगस्त को सुबह 7.17 बजे तक रहेगी। इस बीच 11 अगस्त को 9.35 बजे भद्रा लग जा रहा है जो रात 8.30 बजे तक रहेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 08:05 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 09:36 AM (IST)
Raksha Bandhan Muhurta 2022 : गुरुवार रात 8.30 बजे से लेकर 12 अगस्‍त को पूरे दिन रक्षा बंधन का योग
Raksha Bandhan Muhurta 2022 : गुरुवार रात 8.30 बजे से लेकर 12 अगस्‍त को पूरे दिन रक्षा बंधन का योग

जागरण संवाददाता, वाराणसी : Raksha Bandhan Muhurta 2022 सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख त्योहारों में एक रक्षा बंधन सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार तिथियों के फेर से सावन पूर्णिमा दो दिन मिल रही है। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 9.35 बजे लग रही है जो 12 अगस्त को सुबह 7.17 बजे तक रहेगी। इस बीच 11 अगस्त को 9.35 बजे भद्रा लग जा रहा है जो रात 8.30 बजे तक रहेगा। ऐसे में 11 अगस्त की रात 8.30 बजे के बाद राखी बांधी जा सकेगी। वहीं, 12 अगस्त की सुबह 5.30 बजे के बाद 7.17 बजे तक पूर्णिमा काल में राखी बांधने का विशेष योग है। हालांकि इस दिन सुबह 5.30 बजे से संपूर्ण दिन पर्यंत रक्षा सूत्र बंधन शुभ रहेगा।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार कुछ विद्वान पर्व निर्णय ग्रंथ मदन रत्न के वचन-इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम... यानी प्रतिपदा से युक्त पूर्णिमा का निषेध बताते हैैं, लेकिन इसका उल्लेख किसी अन्य ग्रंथ में नहीं मिलता। अत: एवं प्रतिपद्योगोपि न निषिद्ध:... के मान के तहत प्रतिपदायुक्त पूर्णिमा में भी राखी बांधी जा सकती है। शास्त्रीय मत यह भी है कि यदि दिन में शुभता मिल रही हो तो यथा संभव रात्रि काल में निषेध करना उचित होता है।

आज यजुर्वेदिय और कल तैत्तिरीय शाखा वाले करेंगे श्रावणी उपाकर्म

शरीर, मन और इंद्रियों की पवित्रता का पर्व श्रावणी उपाकर्म इस बार दो दिन मनाया जाएगा। इसमें यजुर्वेदियों के लिए 11 अगस्त गुरुवार को व तैत्तिरीय शाखा वालों के लिए 12 अगस्त शुक्रवार को उपाकर्म (श्रावणी) मान्य होगा। ज्योतिषाचार्य प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार धर्म शास्त्रज्ञों ने कहा है कि‘अत्र उपाकर्मय भद्रादेर्न प्रतिबंधकत्वम्’ अपितु ‘भद्रा योगे रक्षा बंधनस्यैव निषेध:” यदि वचन“भद्रायां द्वे न’ को प्रमाण मान भी लिया जाए तो वह केवल राखी बांधने के लिए निषिद्ध है न कि उपाकर्म के लिए।

उपाकर्म हेतु संगव काल को प्रमुखता दी गई है। ‘दिनस्य द्वितीय याम:’ अर्थात दिन का दूसरा प्रहर ही संगव काल है। श्रावण मास की पूर्णिमा दो दिन रहने पर संशय निवारण के लिए हेमाद्रि, मदन रत्न, निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु व निर्णयामृत के आधार पर निर्णय किया गया है। ‘संशये सति यजुर्वे दिनां प्रथम दिन एव कर्तव्यम’ अर्थात जब संशय हो तब यजुर्वेदियों को प्रथम दिन व तैत्तिरीय शाखा वालों को उदय कालिक पूर्णिमा अर्थात दूसरे दिन में उपाकर्म करना चाहिए। ‘पर्वण्यौदयिके कुर्यु: श्रावणीं तैत्तिरीयका:। द्वितीयास्मिन दिवसे पर्वण: संगव संबंधाभावेन औदयिकत्वा सिद्धे: पूर्व दिवस एवं उपाकर्मनुष्ठानं सिद्धयति।’ इस तरह 11 अगस्त को सुबह 9.30 बजे के बाद उपाकर्म श्रावणी कर्म किया जा सकता है।


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