Rajju Bhaiya Death Anniversary रज्जू भैया को काशी से मिली थी संघ की शिक्षा
Rajju Bhaiya Death Anniversary गोलवलकर के सबसे प्रिय शिष्यों में शामिल रज्जू भैया काशी के डीएवी कॉलेज मैदान में ही प्रथम शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण लिया।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। इलाहाबाद विवि से बीएससी और एमएससी पढ़ाई पूरी करने के बाद रज्जू भैया 1943 में बनारस पहुंचे। गोलवलकर के सबसे प्रिय शिष्यों में शामिल रज्जू भैया काशी के डीएवी कॉलेज मैदान में ही प्रथम शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण लिया। यहीं से वह संघ के रज्जू भैया और एकेडमिक दुनिया के प्रो. राजेंद्र सिंह बनकर उभरे। शाहजहांपुर में 29 जुलाई 1922 को जन्मे रज्जू भैया 1939 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय आए और बीएससी व एमएससी की उपाधि हासिल की। 14 जुलाई को रज्जू भैया की पुण्य तिथि है।
17 जुलाई 1943 को भौतिक विज्ञान विभाग में लेक्चरर नियुक्त हुए और यहीं विभागाध्यक्ष भी बने। उनकी विलक्षण प्रतिभा देख डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने चाहा था कि वह न्यूक्लियर फिजिक्स में अनुसंधान करें। यह आमंत्रण डा. भाभा ने उनके गुरु गोलवलकर को दिया। भौतिकी के सिद्धांतों में डूबे रहने वाले रज्जू भैया को काशी में गुरु गोलवलकर से मिलने और उनका भाषण सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। गुरुजी के द्वारा पौने दो घंटे तक दिया गया सुप्रसिद्ध भाषण 'शिवाजी का जय सिंह को पत्र' सुन कर वह इतना प्रभावित हुए कि अपनी भौतिकी के शोधों को छोड़ कर आजीवन संघ के सिपाही बने रहे। छात्र जीवन के दौरान रज्जू भैया काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष में काशी आये थे। यहां उन्होंने महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के भाषणों को करीब से सुना था।
आपातकाल में गुप्त बैठक
आपातकाल के दौरान वह काशी में काफी दिनों तक भूमिगत रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह पद पर रहते हुए रज्जू भैया वेष बदलकर सिद्धगिरि बाग के पास गुप्त स्थान पर स्वयंसेवकों की बैठक ली थी। बताते हैं बैठक तक पहुंचना भी किसी जासूसी फिल्म की पटकथा से कम रोमांचक नहीं था। रज्जू भैया के नेतृत्व में सात साल तक प्रचारक के तौर पर काम करने वाले यूपी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. डीएस चौहान के मुताबिक रज्जू भैया इलाहाबाद से हर वर्ष अपनी एंबेसडर कार खुद चलाते हुए काशी आते थे और अपने पढ़ाए शिष्यों व स्वयंसेवकों से मिलते रहते थे।