Move to Jagran APP

राजा देवकीनंदन की हवेली : वाराणसी का हर घर कुछ कहता है, पत्थरों पर लिखी ऐश्वर्य गाथा

काशी की ऐश्वर्य गाथा में स्वर्णिम अध्याय जोड़ती हैं यहां की पुरानी हवेलियां। बनारसी ठाठ और यहां की रईसी की ख्याति दूर-दूर तक इन हवेलियों की कहानियों ने ही पहुंचाई। काशी के रामापुरा मोहल्ले में यह हवेली आज भी अपनी बुलंदी की कहानी कहती नजर आती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 08:10 AM (IST)
राजा देवकीनंदन की हवेली : वाराणसी का हर घर कुछ कहता है, पत्थरों पर लिखी ऐश्वर्य गाथा
काशी के रामापुरा मोहल्ले में यह हवेली आज भी अपनी बुलंदी की कहानी कहती नजर आती है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी की ऐश्वर्य गाथा में स्वर्णिम अध्याय जोड़ती हैैं यहां की पुरानी हवेलियां। बनारसी ठाठ और यहां की रईसी की ख्याति दूर-दूर तक इन हवेलियों की कहानियों ने ही पहुंचाई। ऐसी ही हवेली की कहानी बता रहे हैं राजेश त्रिपाठी।

loksabha election banner

आनापुर (प्रयागराज) के राजा देवकीनंदन सिंह की हवेली की शान ऐसी कि देखने वालों के कदम आज भी ठिठक जाएं। जो देखे तो देखता ही रह जाए। काशी के रामापुरा मोहल्ले में यह हवेली आज भी अपनी बुलंदी की कहानी कहती नजर आती है। हवेली का निर्माण वर्ष 1682 में तीन चबूतरों के ऊपर से शुरू हुआ। उत्तर दिशा की ओर खुलने वाले मुख्य दरवाजे की चौखट पत्थर की सुंदर नक्काशी से युक्त है। हवेली लगभग दो बीघे में विस्तारित है। चार मंजिली इस भव्य हवेली के तीन तल लाल पत्थर से बने हैैं तो चौथा तल चुनार के गुलाबी पत्थरों से। निचले तल पर आंगन इतना बड़ा है कि उसमें एक साथ एक हजार लोग बैठ सकते हैं। चारों मंजिल में स्थित आंगन में 25 कमरे है जिनकी छत व खंभे डिजाइनों से युक्त हैं।

हवेली में गौरी- शंकर का आकर्षक मंदिर

वास्तु शास्त्र के अनुसार हवेली के ईशान कोण (उत्तर-पूरब) पर गौरी-शंकर का भव्य मंदिर है जो उत्तर भारत के मंदिर स्थापत्य का जीता-जागता नमूना है। आज भी इस मंदिर में विधि-विधान से पूजन-अर्चन होता है। मंदिर में निवास करने वाली मंजू लता मिश्र को उनके नाना व मंदिर के तत्कालीन पुजारी महावीर प्रसाद पांडेय ने बताया था कि इसका निर्माण राजा देवकीनंदन सिंह की पत्नी चंद्रकला देवी ने एक संकल्प के तहत किया था। कहा जाता है कि यह मंदिर उस समय 12 घंटे के भीतर ही निर्मित कराया गया था। मंदिर के ऊपरी भाग में एक नौबतखाना बना हुआ है। यहां 70 वर्ष पूर्व तक शहनाई वादन होता था। इसी मंदिर में हनुमान जी की विजय मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है।

हवेली के पश्चिम में बनते थे रानी के गहने

राजा देवकी नंदन सिंह की पत्नी चंद्रकला देवी अत्यंत धर्मप्रिय थीं। वे पूजा-पाठ में ज्यादा रुचि दिखलातीं। उन्हें गहने बनवाने का भी खूब शौक था। उन्होंने हवेली की पश्चिम दिशा में दो भाइयों महादेव प्रसाद व बैजनाथ प्रसाद को एक स्थान दे रखा था, जहां वे रानी के लिए सोने-चांदी के गहने तैयार करते थे। बैजनाथ प्रसाद के बेटे जुट्ठन लाल बताते हैं कि रानी साहिबा बड़े शौक से गहने पसंद करती थीं।

हेरिटेज घोषित कर प्रदेश सरकार करे संरक्षण

हवेली की भव्यता पर कब्जे के मकडज़ाल का ऐसा ताना-बाना बुना गया है कि इसकी शान-ओ- शौकत धूमिल हो रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार हवेली को हेरिटेज भवन घोषित कर इसे दर्शनीय स्थल बनाना चाहिए ताकि इसकी कहानी आगे भी जिंदा रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.