रुई, कबाड़ और भूसे में छिपाकर रईस बनारसी लाता था बिहार से असलहा
कानपुर के अनवरगंज क्षेत्र स्थित हीरामन का पुरवा से जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी को कुख्यात अपराधी के तौर पर जाना जाता था।
वाराणसी । कानपुर के अनवरगंज क्षेत्र स्थित हीरामन का पुरवा से जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी को सूबे में कुख्यात अपराधी के तौर पर जाना जाता था। भाई की हत्या के बाद दशाश्वमेध स्थित खालिसपुरा में ननिहाल में इसने पनाह ली। शुरुआती दौर में खुद को बेहद सीधा सादा साबित करने में लगा रहा मगर भाई के हत्यारों का बदला लेने का जुनून उसके मन से नहीं उतर सका।
बिगड़ती गई संगत
समय बीतने के साथ उसकी संगति अपराधियों से होती गई। उसने बनारस के चर्चित बदमाशों में राजेश अग्रहरि, राजकुमार उर्फ गुड्डू मामा, बाले पटेल, पंकज उर्फ नाटे, बच्चा यादव, अवधेश सिंह संग जावेद खां को मिलाकर एक गैंग बना लिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक गैंग को शुरुआती दौर में एक विधायक का भी संरक्षण प्राप्त था। इसके चलते सभी बदमाश जरायम जगत में अपना पांव जमाते चले गए। सूत्रों के मुताबिक यह गैंग उस समय के कानपुर में तेजी से उभरे डीटू गैंग के समानांतर बनारस में भी साम्राज्य स्थापित करने में तुला था। इसके चलते रईस बनारसी बिहार से ट्रक में रुई, कबाड़ व भूंसे में छिपाकर असलहा लाता रहा। उसने ताबड़तोड़ गोलियों से कई को मौत के घाट उतारा और फिर अपराध की दुनिया में पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दिया। करीब छह महीने पूर्व सपा के दिग्गज नेता विजय जायसवाल के नदेसर स्थित घर पर चढ़कर रईस बनारसी व गुड्डू मामा ने गोली चलाई थी।
कानपुर से भी था रिश्ता
पुलिस के मुताबिक उसकी पत्नी कानपुर में रहती है इसलिए वह अक्सर वहां जाया करता था। लेकिन अपना रूप बार-बार बदल लेता था इसलिए पुलिस को भनक तक नहीं लग पाती थी। क्राइम ब्रांच, एसटीएफ व पुलिस की स्पेशल टीमों को सालों से उसे दबोचने को लगाया गया था मगर मामूली घटना में उसकी मौत के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली। पुलिस के मुताबिक बनारस में रहने के कारण क्राइम जगत में रईस सिद्दिकी रईस बनारसी के नाम से जाना जाने लगा। गैंग चलाने को उसने लूट व हत्या के साथ मुंगेर (बिहार) से विदेशी असलहों की तस्करी शुरू कर दी। क्राइम ब्रांच के मुताबिक रईस की गिनती उन चंद खूंखार बदमाशों में होती थी जो लूट, रंगदारी के लिए जान लेने से नहीं हिचकते थे। उसने इस तरह की कई घटनाओं को भी अंजाम दिया था।
कानपुर में भी वारदात
कानपुर में भाई नौशाद के हत्यारे शानू ओलंगा से बदला लेने की कसम खाने वाले रईस सिद्दीकी ने बीच बाजार में उसे गोली मारी। उस दौरान तीन की जान गई थी। रईस अपने दम पर आगे बढ़ता गया। बजंरगी से संपर्क किया और उसके साथ भी काम शुरू किया। पुलिस के मुताबिक रईस बनारसी ने मोनू पहाड़ी और राजकुमार बिंद उर्फ मामा के साथ मिलकर भाई के हत्यारे डीटू गैंग के संचालक शानू ओलंगा की हत्या कर दी थी। इसमें मोनू पहाड़ी के साथ देने के पीछे उसका टायसन से बदला लेना था क्योंकि टायसन की मुखबिरी से मोनू के भी भाई की हत्या हुई थी।
पुलिस की वर्दी का करता था इस्तेमाल
रईस बनारसी तस्करी व लूट में पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल करता था। इसका खुलासा 2007 में मलदहिया क्षेत्र में पेट्रोल पंप संचालक लहिड़ी की हत्या के बाद हुआ था। इस हत्याकांड के समय रईस ने साढ़े तीन लाख रुपये भी लूटे थे। जब पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया था तब इसके पास से वर्दी मिली थी। इसके अलावा भी उसने कई घटनाओं में पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल किया था।
बनारस से कानपुर तक दर्जन भर मुकदमे
रईस पर बनारस और कानपुर में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमें हैं। इनमे कोतवाली, सिगरा, भेलूपुर, जैतपुरा, आदमपुर थाना में हत्या, लूट, हत्या के प्रयास आदि के मुकदमे हैं। रईस ने कई और आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया लेकिन पुलिस को पता तक नहीं चल पाया था।
रईस बनारसी इन घटनाओं में शामिल
- हथुआ मार्केट में पेट्रोल पंप मालिक लहिड़ी की हत्या कर 3.50 लाख की लूट
- शेख सलीम फाटक (चेतगंज) में लोहता के व्यापारी को गोली मारकर लूट
- रामकटोरा के समीप व्यापारी को गोली मार कर लूट का प्रयास
- लक्सा के पास व्यापारी को गोली मारकर दो लाख की लूट
- मुखबिरी की शक में दशाश्वमेध क्षेत्र में साथी दीपू वर्मा की हत्या
- रेवड़ी तालाब के पास साड़ी कारोबारी संग दो लाख की लूट
- वरुणापुल स्थित असलहा दुकान संचालक भाजयुमो नेता विवेक सिंह को गोली मारी
- भाई की हत्या का बदला लेने के लिए कानपुर में शानू ओलंगा की हत्या कर दी थी
- इलाहाबाद के नैनी में तिहरा हत्याकांड में शामिल
- बनारस जिला जेल से बरेली शिफ्ट करते समय पुलिस अभिरक्षा में फरार