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क्या मुसीबत है, इस बार भी बरसेगा पानी लेकिन बहेगा नहीं

मौसम ने दस्तक दे दी है लेकिन नगर निगम की निद्रा अभी नहीं खुली है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 01:17 AM (IST)
क्या मुसीबत है, इस बार भी बरसेगा पानी लेकिन बहेगा नहीं
क्या मुसीबत है, इस बार भी बरसेगा पानी लेकिन बहेगा नहीं

वाराणसी : मौसम ने दस्तक दे दी है लेकिन नगर निगम की निद्रा अभी नहीं खुली है। शहर के नाले पॉलीथिन, मिट्टी, पत्थर के टुकड़े सहित कूड़े से पटे हुए है। इनकी सफाई कब होगी, कौन करेगा, इसकी समय सीमा क्या है, इस बारे में कोई भी अफसर बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में तेज बारिश हो गई तो अफसरों की नाकामी का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ेगा। शहर के प्रमुख 26 नालों की सफाई नहीं होने से बारिश का पानी निकलने की बजाय सड़कों पर ताल-तलैया बनेगा। साथ ही लोगों के घरों में पानी घुसना तय हैं।

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नई बनाई गई कोई रणनीति

जून माह के अंत तक मानसून के दस्तक देने के साथ ही बारिश शुरू हो जाती है। ऐसे में नगर निगम को 15 जून तक हरहाल में नालों की सफाई कर लेनी होती है। इसके लिए नगर निगम अप्रैल से तैयारी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर देता है। निगम के अफसरों ने फाइल दौड़ानी शुरू तो कर दी लेकिन नालों की सफाई कैसे होगी, इसकी रणनीति नहीं बनाई। अफसरों की नाकामी शहर के नालों में पड़े सिल्ट से साफ दिखाई पड़ रही है।

अभियंताओं ने नहीं किया निरीक्षण

ठेकेदार कूड़े से पटे नालों की सही ढंग से सफाई कर रहे हैं या नहीं, इसकी मानीटरिग करने के लिए नगर आयुक्त ने वार्ड अभियंताओं की जिम्मेदारी तय की है। बावजूद इसके कई अभियंताओं ने मानीटरिग करने की बजाय मौके पर जाना मुनासिब नहीं समझा।

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निचले इलाकों में रहने वाले लोग परेशान

नालों की सफाई नहीं होने से गली-मुहल्लों का पानी निकलना मुश्किल है। सबसे ज्यादा परेशान निचले इलाकों में रहने वाले लोग हैं। पिछले सालों को देखते हुए लोगों ने इसकी शिकायत नगर निगम प्रशासन से करनी शुरू कर दी है लेकिन उनकी आवाज उन्हें सुनाई नहीं दे रही है।

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केस-1

बात करते हैं मरी माई से साजन तिराहा होते हए सिगरा चौराहे तक के नाले की। नगर निगम का दावा है कि नाले की सफाई करने के साथ पूरी तरह से सिल्ट निकाल लिए गए हैं लेकिन हकीकत उससे कहीं परे हैं। नाले की सही ढंग से सफाई नहीं हुई और हुई तो सिल्ट सड़क पर कई दिनों तक पड़ा रहा। सिल्ट सूखने और उठने से पहले फिर नाले में चला गया।

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केस-2

यही हाल बड़ी गैवी चौराहे से सुदामापुर हनुमान मंदिर तक जाने वाले नाले की भी है। यहां भी नाले की सफाई की गई लेकिन सिल्ट छोड़ दिया गया। आलम यह है कि यहां हल्की बारिश होने के साथ जल-भराव शुरू हो जाता है और सड़कें पानी से लबालब हो जाती हैं। नाले की बेहतर सफाई नहीं होने से क्षेत्रीय लोगों में असंतुष्टि व्याप्त है।

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-शहर में कुल नालों की संख्या 26

-नाले की कुल लंबाई 19477 मीटर

-नाले की कुल चौड़ाई 32.57 मीटर

-नाले में औसतन सिल्ट की गइराई 20.55 मीटर

-नालों में सिल्ट की सफाई में लागत 3366159 रुपये

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