वाराणसी में आंधी और बारिश ने बैठा दिया ईंट निर्माताओं का भट्ठा, मानसून बढ़ाएगा ईंटों का दाम
कोरोना के कारण हर उद्योग-धंधा प्रभावित था। तेज बारिश-आंधी ने ईंट उद्योग का ही भट्ठा बैठा दिया है। भट्ठे 30 जून तक लक्ष्य बनाकर ईंट का उत्पादन करते हैं लेकिन इस बार 15 दिन पहले ही मानसून आ गया। साथ ही दो बार चक्रवाती तूफान का भी असर हो गया।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के कारण हर उद्योग-धंधा प्रभावित था। वहीं अब तेज बारिश-आंधी ने ईंट उद्योग का ही भट्ठा बैठा दिया है। भट्ठे 30 जून तक लक्ष्य बनाकर ईंट का उत्पादन करते हैं, लेकिन इस बार 15 दिन पहले ही मानसून आ गया। साथ ही दो बार चक्रवाती तूफान का भी असर हो गया। इसके कारण खुले आसमान के मैदान में पड़ी ईंट गल गई है। साथ ही भट्ठाें के अंदर पानी भी भर लाने से भारी नुकसान हुआ है।
ईंट निर्माता परिषद के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति के पूर्वा अध्यक्ष कमलाकांत पांडेय बताते हैं के इस साल सरकार ने कोयले की कोई व्यवस्था नहीं की। इससे मजबूरी में मालिकों को खुले बाजार में ऊंचे दापर कोयला लेना पड़ा। इसके कारण ईंट का उत्पादन थोड़ा महंगा पड़ा। साथ ही इस कोरोना महामारी में ईंट की बिक्री पर भी असर पड़ा।
जब सरकार सभी को सुविधाएं दे रही हैं तो इस सीजनल लघु उद्योग को भी दैवी आपदा में सहयोग करना चाहिए। मांग किया कि विशेष सहायता के साथ सरकार टैक्स में छूट प्रदान करें। ताकि जिन ईंट भट्ठा मालिकों की कमर टूटी हैं वे पलायन से रूके। कहा कि मिट्टी मिल नहीं रही और कोयला सरकार देती है। ऊपर से आपदा ने तो इस उद्योग का पूरी तरह से ईंट से ईंट बजा दिया है। प्रदेश में लगभग 19 हजार ईंट भट्ठे हैं। इससे 30 लाख श्रमिकों को रोजगार मिलता है। जन प्रतिनिधियों को भी इस लघु उद्योग के बारे में कुछ सोचना चाहिए। वरना इस उद्योग का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।