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हादसों पर अंकुश को रेलवे ने बढ़ाए 'विदेशी कदम', रेलवे बोर्ड के निदेशक ने ढूंढ़ी काट

चंदौली में भारतीय रेल विदेशी कदम से हादसों पर अंकुश लगाएगी। मेंटिनेंस का समय मुकर्रर कर उसे वर्किंग टाइम टेबल में शामिल करने की कवायद शुरू हो गई है।

By Edited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 10:44 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 10:44 AM (IST)
हादसों पर अंकुश को रेलवे ने बढ़ाए 'विदेशी कदम',  रेलवे बोर्ड के निदेशक ने ढूंढ़ी काट
हादसों पर अंकुश को रेलवे ने बढ़ाए 'विदेशी कदम', रेलवे बोर्ड के निदेशक ने ढूंढ़ी काट

चंदौली [राकेश श्रीवास्तव] । भारतीय रेल 'विदेशी कदम' से हादसों पर अंकुश लगाएगी। मेंटिनेंस का समय मुकर्रर कर उसे 'वर्किग टाइम टेबल' में शामिल करने की कवायद शुरू है। रेलवे बोर्ड के निदेशक समयबद्ध ने महाप्रबंधकों से टिप्पणी मांगते हुए इसे जमीन पर उतारने की बात कही है। एनडीआरबी (नई दिल्ली रेलवे बोर्ड) लखनऊ डिवीजन में चार गैंगमैनों के कटने के बाद हादसों की काट ढूंढ़ने में जुट गया था। विदेशों में मेंटिनेंस कार्यों के लिए समय मुकर्रर होने से ट्रेनों के रफ्तार भरने के बावजूद हादसे नहीं होते।

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रेलवे दो तरह का टाइम टेबल जारी करता है। पहला पब्लिक को दिया जाने वाला टाइम टेबल, जिसमे ट्रेनों के आवाजाही का विवरण होता है। एक अन्य वर्किग टाइम टेबल जिसे परिचालन, मे¨टनेंस कार्यों से जुड़े कर्मियों को दिया जाता है। इस टाइम टेबल का उल्लेख 1976 में बने रेलवे के जनरल डायरी रूल (जीआर) में है। जीआर में दर्ज कायदों के जरिए ही रेलवे रफ्तार भर पाती है। मे¨टनेंस को समय मुकर्रर करने की तैयारी है। अलग-अलग जोनों से रिपोर्ट मिलने के बाद एनडीआरबी एक संपूर्ण निर्धारण करेगा।

दरअसल, ट्रेनों की बंचिंग, उनकी रफ्तार, ट्रैक की स्थिति अलग-अलग जोन में उनके महाप्रबंधक ही निर्धारित कर सकते हैं। महाप्रबंधकों की रिपोर्ट के बाद एक संपूर्ण रिपोर्ट को रेलकर्मियों के वर्किग टाइम टेबल में शामिल किया गया तो रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों पर अंकुश लग जाएगा। परिचालन अफसर उस अवधि में किसी ट्रेन को रवाना नहीं करेंगे। आपात काल में ट्रेन रवाना करना भी हुआ तो मेंटिनेंस वर्क के इंचार्ज से अनुमति लेनी होगी। सशक्त कायदे न होने से ट्रेनों के समयबद्ध परिचालन को अफसर सीमाएं लांघ जाते हैं। अफसरों के निर्णय के पीछे ट्रेनों की बढ़ती तादाद है। मेंटिनेंस को इंजीनियरिंग विभाग समय मांगता तो परिचालन विभाग आनाकानी करता, जब तक कि ब्लाक देना मजबूरी न बन जाए। इंजीनियरिंग विभाग मजबूरी में लाल झंडा लगाकर छोटे-मोटे रिपेयर करता रहता है। ऐसे में कई बार मामूली चूक जानलेवा बन जाती है।


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