अवैध कब्जे की जद में रेल पटरियां, नहीं चेत रहा रेल प्रशासन
अमृतसर में दशहरा उत्सव के दौरान हुए हादसे के बाद भी रेल प्रशासन नहीं चेता है। पटरी किनारे बस्तियां दुर्घटना को दे रही निमंत्रण।
वाराणसी : अमृतसर में दशहरा उत्सव के दौरान हुए हादसे के बाद भी रेल प्रशासन नहीं चेता है। ऐसे में बनारस में भी अमृतसर जैसे हादसे की आशंका बनी हुई है। यहां पर कई जगह पटरी के किनारे बाजार से बस्तियां तक आबाद हैं। डीजल रेल कारखाना (डीरेका) में आयोजित होने वाला रावण दहन भी पटरी से महज 50 से 60 मीटर की दूरी पर होता है। अमृतसर के इतने बड़े हादसे के बाद भी अगर डीरेका प्रशासन की आंख नहीं खुली तो हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता।
डीरेका स्टेडियम में होने वाला आयोजन भी बनारस-इलाहाबाद ट्रैक से उतनी दूरी पर है जितना कि जोड़ा फाटक व अमृतसर आयोजन स्थल का था। डीरेका परिसर में होने वाले दशहरा आयोजन में बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्रों रोहनिया, मंडुआडीह, भुल्लनपुर, मंडाव व लोहता के होते हैं, जो पटरी पार कर अपने अपने घर जाते हैं।
-मंडुआडीह में पटरी किनारे बाजार कुछ ऐसे ही हालात मंडुआडीह के भी हैं। यहां पटरी किनारे ही पूरा बाजार सजता है। जहां बड़ी संख्या में आसपास के लोग खरीदारी करते हैं। जरा सी चूक सैकड़ों लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। इस ओर जिला प्रशासन या रेलवे ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। शायद प्रशासन किसी अप्रिय घटना के इंतजार में है।
-काशी स्टेशन के किनारे झुग्गी
काशी स्टेशन से बनारस की ओर आने पर रेलवे पटरी किनारे बसी झुग्गियां मिल जाएंगी। यहां के लोगों का आवागमन रेल पटरी पर लगातार होता रहता है। काशी स्टेशन पर ज्यादा ठहराव न होने के चलते ट्रेनें भी पूरी गति से गुजरती हैं। ऐसे में प्रशासन को यहां भी लोगों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है।