पूर्वांचल विश्वविद्यालय : लिक्विड क्रोमैटोग्राफी उच्च विभेदन क्षमता वाली तकनीक, रसायन विज्ञान पर राष्ट्रीय ई-कार्यशाला
रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल साइंस साउथ कोरिया के डाक्टर दिनेश कुमार मिश्रा ने हाई परफार्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी के ऊपर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह एक उच्च विभेदन क्षमता वाली तकनीक है जो बहुत तीव्रता से होती है। इसमें पदार्थों की अति सूक्ष्म मात्राकी आवश्यकता होती है।
जौनपुर, जगारण संवाददाता। रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल साइंस, साउथ कोरिया के डाक्टर दिनेश कुमार मिश्रा ने हाई परफार्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी के ऊपर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह एक उच्च विभेदन क्षमता वाली तकनीक है, जो बहुत तीव्रता से होती है। इसमें पदार्थों की अति सूक्ष्म मात्रा (नैनोग्राम या पीकोग्राम) की आवश्यकता होती है। इस तकनीकी के जरिए नए संश्लेषित पदार्थों एवं रसायनों का शुद्धिकरण एवं पृथक्करण किया जाता है।
यह बातें उन्होंने रविवार को पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित रसायन विज्ञान विभाग, रज्जू भइया संस्थान की तरफ से रसायन विज्ञान में उपकरणीय तकनीक विषयक राष्ट्रीय ई-कार्यशाला के तीसरे दिन तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए कही।
तकनीकी सत्र के दूसरे वक्ता किंग अब्दुल जीज विश्वविद्यालय सऊदी अरब के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर मोहम्मद ओमैश अंसारी ने कंडक्टिव पालीमर नैनो कंपोसिट के संश्लेषण, पहचान व अनुप्रयोगों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि नैनो कंपोजिट का प्रयोग करते हुए भारी धातुओं, हानिकारक रासायनिक पदार्थो काे अवशोषित कर अलग किया जा सकता है। वर्तमान समय में इनका उपयोग गैस संवेदक (सेंसर) के रूप में किया जा रहा है।
चोन्नम नेशनल यूनिवर्सिटी, साउथ कोरिया के डाक्टर विवेक धन के विभिन्न उष्मा आधारित उपकरणों के प्रयोग से पदार्थों के पहचान करने के लिए में वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम के जटिल प्रणाली को बहुत सरल भाषा में समझाया। कार्यशाला के संयोजक डाक्टर नितेश जायसवाल ने बताया कि कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागी आधुनिक व उच्चीकृत तकनीकों के बार में देश-विदेश के विषय विशेषज्ञों से अद्यतन जानकारी प्राप्त कर रहे है।
तकनीकी सत्र का संचालन रसायन विभाग के डाक्टर मिथिलेश कुमार ने किया। इस मौके पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर देवराज सिंह, रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष डाक्टर प्रमोद कुमार, डाक्टर प्रमोद यादव, डाक्टर अजीत सिंह, डाक्टर दिनेश आदि मौजूद रहे।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान की ई-कार्यशाला
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय फार्मेसी संस्थान ने आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को ओगेचुकवु लुसी वैंक्वो नाइजीरिया ने कोविड-19 के प्रबंधन में हर्बल औषधि की भूमिका बताई। कहा कि हर्बल पौधों पर अलग-अलग अध्ययन किए जा रहे हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और इस वायरस से निपटने की क्षमता रखते हैं।प्राकृतिक यौगिकों के एंटी वायरल तंत्र का शोषण वायरल जीवन-चक्र, आक्रमण, प्रवेश, प्रतिकृति, संयोजन और रिलीज की दिशा में उनकी कार्रवाई के तरीकों पर प्रकाश डाल सकता है।
इसके अलावा पौधों के स्रोतों और उनके उपयोग के बारे में पारंपरिक जानकारी मुख्य रूप से सही परिस्थितियों में उचित रूप से नियोजित करने के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस संक्रामक और महामारी से निबटने के लिए हर्बल इम्यून-बूस्टर के साथ कोरोना वायरस के सामान्य अवलोकन, संचरण, नैदानिक दृष्टिकोण और प्रतिरक्षा-प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करती है, जिसने हर जगह दहशत पैदा कर दी है। फ्रांस के प्रोफेसर सुरेश स्वर्णपुरी ने सेहत में आयुर्वेदिक रसायन के बारे में बताया। मंदबुद्धि, अहंकार और चित्त-इनकी संज्ञा अंत:करण है और दस इंद्रियों की संज्ञा बाह्यकरण है। अंत:करण की चारों इंद्रियों की कल्पना भर हम कर सकते हैं, उन्हें देख नहीं सकते, लेकिन बाह्यकरण की इंद्रियों को हम देख सकते हैं। हमें इंद्रीय-निग्रही होना चाहिए। दक्षिण कोरिया के डाक्टर सितांशु शेखर नैनोटेक्नोलाजी और बायोमेडिकल में इसके अनुप्रयोग की व्याख्या की। दवा सब्सट्रेट को उनके आणविक संश्लेषण पर नियंत्रण के परिणामस्वरूप बहुत विशिष्ट और नियंत्रित रासायनिक और भौतिक गुणों को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।