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BHU Hospital में बनेगा पूर्वांचल का पहला प्लाज्मा बैंक, निगेटिव हो चुके मरीज दान करेंगे प्लाज्मा

आइएमएस-बीएचयू का सर सुंदर लाल अस्पताल लेवल-थ्री हॉस्पिटल है। पूर्वांचल का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू कराने की तैयारी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 01:13 PM (IST)
BHU Hospital में बनेगा पूर्वांचल का पहला प्लाज्मा बैंक, निगेटिव हो चुके मरीज दान करेंगे प्लाज्मा
BHU Hospital में बनेगा पूर्वांचल का पहला प्लाज्मा बैंक, निगेटिव हो चुके मरीज दान करेंगे प्लाज्मा

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। आइएमएस-बीएचयू का सर सुंदर लाल अस्पताल लेवल-थ्री हॉस्पिटल है, जहां बनारस ही नहीं पूर्वांचल के कई जिलों के को-मॉर्बिटिक (कोरोना के साथ अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित) मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वहीं माइक्रो-बायोलॉजी लैब में करीब दस जिलों के सैंपल का परीक्षण किया जा रहा है। ऐसे में अब यहां पूर्वांचल का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू कराने की तैयारी है। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा का उपयोग बीएचयू अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजों के इलाज में किया जा सकेगा। बीएचयू प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे के बीच इस संदर्भ में बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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बीएचयू अस्पताल स्थित ब्लड बैंक के इंचार्ज डा. संदीप कुमार व सीएमओ डा. एसके सिंह के मुताबिक अनुमति मिलते ही इसके लिए अलग से पटल बनाया जाएगा। कन्वालीसेंट प्लाज्मा थेरेपी के लिए विवि प्रशासन की ओर से करीब दो माह पहले प्रस्ताव दिया गया था। तेजी से बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए अब जल्द ही इसके स्वीकार किए जाने की उम्मीद है। अनुमति मिलने पर गाइडलाइन मुताबिक स्वस्थ हो चुके मरीजों से प्लाज्मा दान करने के लिए संपर्क किया जाएगा।

न्यूट्रीलाइजिंग एंटी बॉडी वायरस नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

प्रभावी मानी जा रही थेरेपी आइएमएस-बीएचयू स्थित मॉलीक्यूलर बायोलॉजी यूनिट के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीत कुमार सिंह के मुताबिक जब कोई वायरस शरीर में पहुंचता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें समाप्त करने को कई तरह की एंटी बॉडीज बनाने लगती है, जो कई तरह की होती है। इनमें कुछ न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज होते हैं, जो संबंधित वायरस के खिलाफ बिल्कुल विशिष्ट होते हैं। न्यूट्रीलाइजिंग एंटी बॉडी वायरस नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संक्रामक बीमारी से स्वस्थ हुए व्यक्ति का सीरम लेकर गंभीर मरीज में चढ़ाने की प्रक्रिया कन्वालीसेंट सीरम थेरेपी है।

इस तरह डोनर का निर्धारण

सबसे पहले यह देखा जाता है कि डोनर संक्रामक बीमारी से कितने दिन पहले ठीक हुआ। डोनर की सहमति के बाद चिकित्सक तय करता है कि वह रक्त दे पाएगा कि नहीं। इस थेरेपी में डोनर से सीरम लेने के बाद यह टेस्ट किया जाता है कि उसमें पाई जाने वाली न्यूट्रीलाइजिंग एंटी बाडी वायरस के खिलाफ कितनी प्रभावी है। इसके बाद मरीज की स्थिति के अध्ययन के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में इस कार्य को अंजाम दिया जाता है।

आइएमएस-बीएचयू में प्लाज्मा बैंक को लेकर संभावना देखी जा रही

आइएमएस-बीएचयू में प्लाज्मा बैंक को लेकर संभावना देखी जा रही है। इसके लिए बीएचयू प्रशासन से बातचीत की जा रही है।

-डा. वीबी सिंह, सीएमओ-वाराणसी।


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