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Purvanchal Expressway : कोयले की राख बनेगी लाइफलाइन की बुनियाद, 55 फीसदी निर्माण कार्य पूरा

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए अब मिट्टी की भरपाई थर्मल पावर प्लांट के कोयले की राख से पूरी की जा रही है। इसके लिए यूपीडा एनटीपीसी टांडा से कोयले की राख मंगा रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 01:42 AM (IST)
Purvanchal Expressway : कोयले की राख बनेगी लाइफलाइन की बुनियाद, 55 फीसदी निर्माण कार्य पूरा
Purvanchal Expressway : कोयले की राख बनेगी लाइफलाइन की बुनियाद, 55 फीसदी निर्माण कार्य पूरा

मऊ, जेएनएन। पूर्वांचल की लाइफलाइन माने जाने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर दीपावली तक एक तरफ से सफर साकार करने का लक्ष्य है। दीपोत्सव पर लोग प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक फर्राटा भर सकें इसके लिए एक्सप्रेस-वे पर तेजी से कार्य चल रहा है। पिछले दिनों आजमगढ़ में एक्सप्रेस-वे का निरीक्षण कर खुद मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिए थे। इस बीच लखनऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ सहित पांच जनपदों में मिट्टी का संकट खड़ा हो गया है। अभी तक 340 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे पर लगभग 80 फीसदी मिट्टी का कार्य हो गया है परंतु 20 फीसदी मिट्टी की अनुपलब्धता से निर्माण कार्य पर ब्रेक लगने के आसार उत्पन्न हो गए थे। अब मिट्टी की भरपाई थर्मल पावर प्लांट के कोयले की राख से पूरी की जा रही है। इसके लिए यूपीडा एनटीपीसी टांडा से कोयले की राख मंगा रही है। आए दिन दर्जनों की संख्या कोयले की राख लदे ट्रकें आ रहे हैं। 

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प्रदेश के पूर्वी हिस्से की प्रगति एवं विकास के लिए राज्य सरकार ने लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर, आंबेडकर नगर, अमेठी और अयोध्या के अतिरिक्त आर्थिक रूप से कमजोर कम विकसित जनपदों आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर को प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोडऩे के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण प्रारंभ किया। एक्सप्रेस-वे छह लेन का बनाया जा रहा है। भविष्य में इसे आठ लेन में परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए जमीन भी अधिग्रहित की गई है। लखनऊ से लेकर गाजीपुर तक बन रहे 340 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे को आठ पैकेजों में विभक्त किया गया है। एनएच, स्टेट हाइवे पर फ्लाइओवर, ग्रामीण सड़कों के लिए छोटी पुलिया, पीओपी अंडरपास, लाइट अंडरपास आदि का निर्माण चल रहा है। वर्तमान समय में पांच जनपदों में मिट्टी की अनुपलब्धता है जबकि सुल्तानपुर, आंबेडकर नगर व बाराबंकी में लगभग मिट्टी का कार्य पूर्ण होने की ओर है। 

मऊ, गाजीपुर में 60 लाख घन मीटर मिट्टी की आवश्यकता

लगभग 340 किलोमीटर के बने रहे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में मऊ, गाजीपुर के पैकेज नंबर सात-आठ के लिए दो करोड़ घन मीटर मिट्टी की जरूरत थी। इसमें 1.40 लाख घन मीटर मिट्टी पड़ गई है। अब कोविड-19 व भारी बारिश के चलते मिट्टी की कमी आड़े आ गई है। ऐसे में लगभग सात किलोमीटर के लिए मिट्टी नहीं मिल पा रही थी। इससे यूपीडा की ङ्क्षचता बढ़ गई थी। अब जब टांडा से धड़ाधड़ कोयले की राख आनी शुरू हो गई है तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की बुनियाद को मजबूत किया जा रहा है। 

टांडा से आ चुकी है 75 हजार घन मीटर राख

प्रदेश की राजधानी लखनऊ से गाजीपुर तक बन रही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में थर्मल पावर प्लांटों के लिए मुसीबत का सबब बनी राखों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जमीन से लगभग 08 से 10 फीट की ऊंचाई पर बन रहे एक्सप्रेस-वे में बड़े पैमाने पर मिट्टी पाटी जा रही है। अब इसी मिट्टी की जगह पर थर्मल पावर प्लांट के कोयले की राख का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी तक लगभग 50 हजार घन मीटर तक इन राखों का इस्तेमाल किया गया है। इन राखों के इस्तेमाल से जहां थर्मल पावर प्लाटों के लिए मुसीबत बने कोयले की राखों का ढेर जो आमजन के लिए प्रदूषण का कारक बना था, अब वहां के लोगों को जहरीली गैसों से मुक्ति मिलेगी, तो निर्माण में लग रही मिट्टी का क्षरण भी रुकेगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे एक नजर में

- लगभग 10 करोड़ घन मीटर मिट्टी की आवश्यकता

- लगभग 80 फीसदी मिट्टी कार्य पूर्ण

- लखनऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ में मिट्टी संकट

-पैकेजवार निर्माण कार्य की स्थिति (55.58 फीसदी) --

-पैकेज संख्या - लंबाई (किलोमीटर में)- निर्माण स्थिति (फीसदी में)

-पैकेज एक - 40.47 - 47.81

-पैकेज दो - 39.70 - 52.87

-पैकेज तीन - 41.70 - 72.54

-पैकेज चार - 42.70 - 57.94

-पैकेज पांच - 54 - 54.71

-पैकेज छह - 28.20 - 52.43

-पैकेज सात - 46.08 - 52.42

-पैकेज आठ - 47.97 - 53.66

कोविड-19 के चलते काम पर ब्रेक लग गया था

मऊ, गाजीपुर में मिट्टी नहीं मिल पा रही है। कोविड-19 के चलते काम पर ब्रेक लग गया था। अब काम तेजी से चल रहा हे परंतु बारिश में मिट्टी की कमी थी। जिसे कोयले की राख से पूरा किया जा रहा है।

 -एमके अनिल, अधिशासी अभियंता, यूपीडा।


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