वाराणसी में 44 क्रय केंद्रों पर अब तक 1740 एमटी धान की खरीद, समय पर भुगतान नहीं
दीपावली के बाद भी बनारस के क्रय-केंद्रों तक किसान का धान अपेक्षित मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा है। जिले के सभी केंद्रों पर कुल मिलाकर पांच सौ किसानों की भी आवक नहीं हो सकी है। 60 फीसद किसान अभी तक अपने धान का भुगतान नहीं पा सके हैं।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। दीपावली के बाद भी बनारस के क्रय-केंद्रों तक किसान का धान अपेक्षित मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा है। अभी तक जिले के सभी केंद्रों पर कुल मिलाकर पांच सौ किसानों की भी आवक नहीं हो सकी है। लगभग साठ फीसद किसान अभी तक अपने धान का भुगतान नहीं पा सके हैं। अधिकारी बता रहे हैं कि 44 क्रय केंद्रों पर अब तक 1740 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है, लेकिन दूसरी तरफ किसान की व्यथा यह है उन्हें पांच-छह दिन बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं मिल सका है।
सरकारी दावे के मुताबिक अधिकारियों को तीन कार्य-दिवसों के भीतर किसानों के खाते में धन पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन इसमें करीब एक सप्ताह का समय लग रहा है। कृषि अधिकारियों ने इसका कारण पीएफएमएस पेमेंट सिस्टम को बताया है। इधर, किसानों का कहना है आरटीजीएस प्रणाली से तो भुगतान की गति काफी तेज हो जाना चाहिए।
बनारस में 44 क्रय केंद्रों पर नोडल अधिकारी : बनारस के कुल 44 धान क्रय केंद्रों से इस साल 40500 मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य है, जबकि सरकार अभी किसानों की बाट जोह रही है। अब तक 42 सक्रिय क्रय-केंद्रों पर कुल 425 किसानों से धान की खरीद की जा चुकी है। अब तक कुल 1740 मीट्रिक टन धान की खरीद बनारस से हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग सवा गुना अधिक है। कृषि विभाग द्वारा जारी खरीफ क्रय वर्ष 2020-21 के अंतर्गत 75 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान किसानों को हो चुका है। बाकी के 52 लाख से अधिक का भुगतान प्रक्रिया में है।
28 फरवरी तक 40500 मीट्रिक टन होनी है धान खरीद
तय समय-सीमा अर्थात अगले साल 28 फरवरी तक 40500 मीट्रिक टन धान की खरीद की जानी है। इस लक्ष्य को पाना कृषि विभाग के लिए एक चुनौती है। क्रय-केंद्रों पर बोरा, तौल मशीन, पंखा जैसे संसाधन उपलब्ध हैं और कर्मचारी व नोडल अधिकारी ड्यूटी दे रहे हैं, मगर किसान पहुंच से दूर हैं। सबसे बड़ी बात जिलाधिकारी के निर्देश पर पहली बार लेखपाल को ही नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है, जिसे क्षेत्र की बेहतर समझ हो।
बनारस में होता है 23 लाख क्विंटल धान का उत्पादन : जिला खाद्य विपणन अधिकारी अरुण कुमार त्रिपाठी के अनुसार बनारस में हर साल 23 लाख क्विंटल धानका उत्पादन होता है। पचास क्विंटल तक धान बेचने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि सौ क्विंटल से अधिक धान बेचने वाले किसानों की फसल का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। इस बार आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाकर ही किसान क्रय-केंद्रों पर धान बेचने आ सकेंगे।
1868 रुपये प्रति क्विंटल है धान का भाव : समर्थन मूल्य के अनुसार क्रय-केंद्रों पर धान का मूल्य 1868 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है, जबकि 1888 रुपये ग्रेड ए के धान का भाव है। अच्छी बात है कि बिचौलियो के बिना ही भुगतान पीएसएमएस द्वारा सीधे किसानों के खाते में पहुंचाने की व्यवस्था निर्धारित है।
यह है पिछले साल की स्थिति : पिछले साल 47,300 मीट्रिक टन धान की खरीदारी हुई थी, जबकि इस साल इससे करीब सात हजार मीट्रिक टन कम का लक्ष्य है। कोरोना महामारी के कारण धान उत्पादन में कमी आने के संकेत हैं। पिछले साल 1815 रुपये धान का समर्थन-मूल्य रखा गया था, जबकि इस साल इसमें 58 रुपये की वृद्धि की गई है।
हरहुआ में क्रय केंद्र खेतों से काफी दूर : हरहुआ ब्लाक में इस साल मात्र एक धान क्रय केंद्र होने से किसानों को अपना धान बेचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। अब तक मात्र 31 किसान ही 730.20 क्विंटल धान बेच सके हैं, जबकि 15 अक्टूबर से ही क्रय-केंद्र खोला गया है।
गोसाईंपुर मोहाव धान क्रय केंद्र हरहुआ की विपणन निरीक्षक बबिता ङ्क्षसह के अनुसार केंद्र पर इलेक्ट्रानिक कांटा, नमी मापक यंत्र, बिनोइंग फैन, झरना, पल्लीदार जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। 17 फीसद के अंदर नमी वाले धान की खरीद हो रही है। किसानों के खाते में 1868 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान-राशि भेज दी जाती है, जो 72 घंटों में खातों में पहुंच जाती है। पहले ब्लाक में दो क्रय-केंद्र होते थे। किसानों की शिकायत है कि केंद्र दूर होने के कारण उपज लेकर जाना कठिन हो रहा है। उन्होंने अत्यधिक किराया वहन करना पड़ रहा है। विपणन निरीक्षक का यह भी कहना है कि किसानों की फसल समय से तैयार नहीं हो पाने से खरीदारी की प्रक्रिया धीमी चल रही है। पांच नवंबर के बाद ही किसानों का क्रय-केंद्रों पर आना शुरू हो सका।
चिरईगांव के 67 किसानों में से 46 को भुगतान : चिरईगांव में मूल्य समर्थन योजना के तहत खुले सरकारी धान क्रय केंद्रों के पूर्ण रूप से संचालित नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। किसान धान बेचने के लिए क्रय-केंद्रों पर पहुंच रहे हैंं, तो उन्हें दिसंबर के अंत में आने को कहा जा रहा है। चिरईगांव में खाद्य एवं रसद विभाग गौराकला और यूपीएग्रो केंद्र भगतुआं पर ही धान-खरीद की प्रक्रिया शुरू हो सकी है। गौराकला केंद्र प्रभारी कैलाश ने बताया कि अब तक 67 किसानों से 2093 क्विंटल धान की खरीद हुई है, जिसमें से 46 किसानों को भुगतान कर दिया गया है। इधर, यूपीएग्रो के भगतुआं धान क्रय केंद्र पर विगत 17 नवंबर से धान-खरीद शुरू हुई है। यहां छह किसानों से 479 क्विंटल धान की खरीद हुई है, मगर भुगतान किसी को नहीं हुआ है। दुकानदार कृषकों से 1200 सौ रुपये प्रति क्विंटल धान खरीद रहे हैं।
राजकीय धान केंद्र पर आए महज दो किसान
काशी विद्यापीठ ब्लाक में राजकीय धान क्रय केंद्र (भूलनपुर) स्थापित हुए एक माह से ज्यादा हो गया, मगर यहां अब तक महज दो किसानों ने कुल 32 क्विंटल ही धान बेचा है, जबकि केंद्र पर खरीद का लक्ष्य 5 हजार क्विंटल तय है। मालूम हो कि गत सीजन में गेंहू की खरीद का लक्ष्य भी इस केंद्र द्वारा पूर्ण नहीं हो पाया था, जिसका कारण शहरी ब्लाक का होना बताया जाता रहा। हैरत की बात तो यह है कि यहां के खेतों में कई स्थानों पर कालोनियां विकसित हो रही हैं। चोलापुर क्षेत्र के रौना कला के खाद्य विपणन केंद्र प्रभारी राजेश मौर्या के अनुसार अब तक कुल 40 किसानों से 1100 क्विंटल धान की खरीद की गई है। लगभग यही सूरतेहाल मिर्जामुराद का भी है।