वाराणसी के रामेश्वर व करधना में प्रभावी होगा पंजाब का डब्ल्यूएसपी माडल, लबालब होंगे गांव के तालाब
पंजाब के कुछ गांवों में डब्ल्यूएसपी माडल की सफलता को देखते हुए इसे सेवापुरी विकास खंड में भी लागू करने की तैयारी चल रही है। नीति आयोग के निर्देश के क्रम में सेवापुरी ब्लाक को माडल ब्लाक बनाने की दिशा में पहले से कार्य हो रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। किसी राज्य की अच्छी चीज को अन्य राज्यों में प्रभावी करने में सरकार को कोई गुरेज नहीं है। इसी का परिणाम है कि पंजाब के लुधियाना, हरियाणा के करनाल जिले के कुछ गांवों में डब्ल्यूएसपी (वेस्ट स्टेबिलाइजेशन पाउंड यानी जल स्थिरीकरण तालाब) माडल की सफलता को देखते हुए इसे सेवापुरी विकास खंड में भी लागू करने की तैयारी चल रही है। नीति आयोग के निर्देश के क्रम में सेवापुरी ब्लाक को माडल ब्लाक बनाने की दिशा में पहले से कार्य हो रहा है। यह भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। इस माडल को सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सेवापुरी ब्लाक के दो गांव रामेश्वर व करधना में लागू किया जाएगा। डीपीआर बन चुकी है। शासन की स्वीकृति भी मिल गई है। एक मॉडल को तैयार करने में लगभग सात से आठ लाख रुपये खर्च होंगे। यह धनराशि ग्राम निधि व मनरेगा के कंटिंजेंसी मद से खर्च की जाएगी।
डब्ल्यूएसपी माडल
इस माडल को पंजाब का माडल भी कहते हैं। इसकी विशेषता यह है कि गांव के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को पाइप के माध्यम से एक तालाब तक लाया जाता है। तालाब को तीन भागों में बांटा जाता है। गंदा पानी पहले एक गहरे तालाब में जाता है। स्थिर होने के कुछ दिन बाद दूसरे तालाब में पानी को छोड़ा जाता है। इसके बाद तीसरे तालाब में। इस बीच पहले तालाब की सिल्ट की सफाई होती है। यह खाद के रूप में प्रयोग होता है। जल शोधन की इस तकनीकी के तहत यह दावा किया जा रहा है कि तालाब का पानी कभी नहीं सूखता व मत्स्य पालन व ङ्क्षसचाई के लिए बहुत उपयोगी होता है। गांव की आबादी अधिक होने पर ऐसे दो-तीन तालाब को प्रोजेक्ट में शामिल किया जा सकता है।
करनाल से ट्रेनिंग लेकर लौटे अधिकारी
शासन के निर्देश के क्रम में एडीपीआरओ राकेश कुमार यादव व आरईएस के अवर अभियंता सुरेंद्र प्रसाद जेई ट्रेनिंग लेकर लौट आए हैं। इन दोनों अधिकारियों की दिशा निर्देश पर पायलट प्रोजेक्ट लागू होगा।
गांवों में गंदे पानी की निकासी की समस्या हल होगी
डब्ल्यूएसपी माडल को बहुत ही सफल माना जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद जिले में प्रभावी कर दिया जाएगा। शासन से अनुमति मिल चुकी है। इससे गांवों में गंदे पानी की निकासी की समस्या हल होगी वहीं तालाबों में पानी होने से किसानों को सिंचाई व मत्स्य पालन में फायदा मिलेगा।
-शाश्वत आनंद सिंह, डीपीआरओ